मिर्जापुर

यूपी में 46 दिन से लगातार धरने पर बैठे हैं सैकड़ों किसान, किसी ने नहीं ली सुध

किसानों का कहना है कि कम मुआवजे पर किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देंगे ।

मिर्जापुरOct 11, 2019 / 06:15 pm

Akhilesh Tripathi

किसानों का धरना

मिर्जापुर. राष्ट्रीय राजमार्ग -7 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहण की गयी जमीन के उचित मुआवजे को लेकर जमुई में किसानों का धरना लगातार 46 दिनों से जारी है। आंदोलन कर रहे किसानों ने पदयात्रा किया, जिसमें सैकड़ों किसानों ने भाग लिया, वहीं अपने हक की लड़ाई के लिए दो किसान धरनास्थल पर ही अनशन पर बैठ गये हैं।
किसानों का कहना है कि कम मुआवजे पर किसी भी कीमत पर जमीन नहीं देगे। वाराणसी के रामनगर टेंगरा मोड़ से हनुमना मध्य प्रदेश सीमा तक राष्ट्रीय राजमार्ग-7 के चौड़ीकरण के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है, जिसमें किसानों को जमीन का जो मुआवजा निर्धारित किया गया है, उससे किसान खुश नहीं है। अपनी जमीन के लिए वह सरकार से उचित मुआवजे की मांग कर रहे हैं।इसके लिए किसानों ने आंदोलन के तहत विरोध प्रदर्शन करते हुए किसान जमुई के सुंदर पुर के पास निर्माणाधीन सड़क के किनारे धरने पर बैठ गये हैं।
यह किसानों का धरना प्रदर्शन भारतीय किसान सेना के बैनर तले पिछले 46 दिनों से लगातार जारी है ।इसके लिए किसान पद यात्रा कर समर्थन भी जुटाने का अभियान चला रहे है। वहीं धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए भारतीय किसान सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामराज पटेल ने कहा कि 1956 के हिसाब से किसानों को मुआवजा देने की बात कही जा रही है लेकिन हम सब किसान भूमि अधिग्रहण बिल 2013 के हिसाब से मुआबजा देने की मांग कर रहे हैं। अभी तक न तो कोई जिम्मेदार अधिकारी भी नहीं आया न तो शासन का कोई प्रतिनिधि आया हम लोगों से मिलने। यह देश का दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद भी किसान हक के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। जब तक किसानों को बाजारी रेट से चार गुना मुआवजा नहीं मिलेगा, तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। वहीं धरना स्थल पर दो किसानों योगी सखंडू विश्वकर्मा और अमन पटेल अनशन पर बैठे गये है। भारतीय किसान सेना के सदस्य मुन्ना चौबे ने कहा कि दो किसान साथी आमरण-अनशन पर बैठे हुए हैं। अगर उनको कुछ नुकसान हुआ इसकी जिम्मेदारी जिला प्रशासान और सरकार की होगी। किसान नेता रमेश स्वामी का कहना है कि जिस जमीन का कीमत बीस लाख रुपए है, उसका यह लोग डेढ़ लाख रुपए दे रहे हैं। इसलिए हम किसान अपनी जमीन नहीं देंगे चाहें हमें जो करना पड़े।
BY- SURESH SINGH
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