राजबली ने डेढ़ साल में बेटे के लिए खास साइकिल तैयार कर दी। वह बताते हैं कि एक साल तक वह सिर्फ ढूंढते रहे कि क्या बनाया जाए। फाइनल होने के छह माह के भीतर साइकिल बनकर तैयार हो गई। जुगाड़ से बनाई गई साइकिल दिव्यांगों को मिलने वाले थ्री व्हीलर साइकिल से बड़ी है। बीच में गोल घेरा बना हुआ है जो बैठने वाले को चारों तरफ से सहारे के लिए होता है। साइकिल के तीनों चक्के भी बड़े बनाये गए हैं। इस साइकिल पर बैठकर आर्यन फूला नहीं समाता है। अब वह कभी गांव की इस रोड पर तो कभी उस पर फर्राटे भरता है।
जिला दिव्यांग जन कल्याण अधिकारी राजेश कुमार सोनकर दिव्यांग आर्यन के पिता राजबली द्वारा बेटे के लिए साइकिल बनाने पर कहा कि यह मामला संज्ञान में आया है। विभाग की तरफ से जो भी मदद होगी की जायेगी।