पत्रिका ने मिर्जापुर के उस गांव में जाकर पड़ताल की जिस गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को मिड डे मील में परोसी गयी थी नमक रोटी। गांव में जाकर पड़ताल की तो जो बात निकलकर आयी वो प्रशासन के दावों पर सवाल खड़े करती है।
मिड डे मली में नमक रोटी
सियूर गांव से सुरेश सिंह…मिर्जापुर. सरकारी स्कूल के मिड डे मील में बच्चों को नमक रोटी खिलाने का मामला इतना तूल पकड़ चुका है कि इसका खुलासा करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ भी एफआइआर दर्ज किया जा चुका है, जिसका मिर्जापुर से लेकर दिल्ली तक विरोध किया जा रहा है। पर इस बीच प्रकरण में प्रशासन, पत्रकार, प्रधान और स्कूल प्रशासन के बयानों में आ रहे अलग-अलग बयानों की सच्चाई जानने के लिये पत्रिका की टीम खुद गांव में पहुंची और वहां पूरे मामल की पड़ताल की। टीम के सामने स्कूल की रसोइया रुक्मणी देवी ने स्वीकार किया कि देर होने के चलते उन्होंने बच्चों को नमक रोटी बांट दिया, क्योंकि उनके पास उस समय वही था। स्कूली बच्चों का भी यही कहना था कि दो घंटे तक इंतजार करन के बाद उन्हें नमक रोटी दिया गया था। ग्रामीणों और स्कूल के कर्मचारियों ने जो बताया उससे प्रिंसिपल और रसोइयों के बीच मनमुटाव और सामंजस्य के अभाव जैसी बातों को बल मिला। क्योंकि जिस दुकान से सामान आता है वह स्कूल से कुछ ही दूरी पर है। 10 मिनट में सब्जी और राशन आ सकता था, लेकिन ऐसा हुआ नहीं और बच्चों को नमक रोटी खानी पड़ी।
पत्रिका की टीम जब मिर्जापुर जिले के हिनौता गांव के मौजा प्राथमिक विद्यज्ञालय सियुर पहुंची तो विद्यालय के बाहर गांव वालों की भीड़ लगी हुई थी। गांव वालों से बातचीत करने के बाद टीम को यह लगा कि स्कूल में तैनत प्रभारी प्रिंसिपल मुरारी और स्कूल में तैनात दो रसोइयों के बीच की आपसी रस्साकशी के चलते विद्यालय में मिड डे मील की व्यवसथा कई दिनों से गड़बड़ चल रही है।
टीम को बताया गया कि प्रिंसिपल मुरारी मिड डे मील का राशन खुद ही खरीदकर लाते थे। रसोइयों का काम सिर्फ मिड के मेन्यु के हिसाब से भोजन तैयार करना था। 22 अगस्त को जिस दिन यह वाकया हुआ उस दिन जो चीजें मौजूद थीं उनसे रोटी तो बन गयी, लेकिन सब्जी के लिये रसोइया प्रिंसिपल मुरारी का इंतजार करन लगीं। एक चौंकाने वाली बात भी पता चली कि प्रिंसिपल ने जिस दुकान पर स्कूल में सब्जी और राशन देने को कह रखा था विद्यालय से उसकी दूरी महज 500 मीटर है। घटना के ठीक पहले एक बार सात अगस्त और दूसरी बार 19 अगस्त को वहां से सामान भी लाया गया था। दुकानदार प्रिंसिपल की ओर से 300 रुपये से अधिक की रकम जमा होने की बात भी कही।
अब तक जो बातें पता चलीं उनसे यह लगा कि प्रिंसिपल और रसोइये की आपसी मनमुटाव के चलते न तो रसोइये चंद कदम दूर मौजूद दुकान से जाकर सामान लाए और न ही प्रिंसिपल को इस बात की याद रही कि उस दिन के मेन्यू के हिसाब से मिड डे मील में जो भोजन बंटना है उसका सामान रसोइयों को मुहैया करा देते। यहां यह बात भी जान लें कि स्कूलों में रसोइयों की व्यवस्था प्रधान की ओर से करायी जाती है।
गांव के लोगों के मुताबिक 22 अगस्त की सुबह करीब के गांव का रहने वाला सुनील सुबह तकरीबन नौ बजे स्कूल पहुंचा। इसके बाद प्रधान प्रतिनिधि राजकुमार पाल को स्कूल में सिर्फ रोटी बने होने की जानकारी दी। पाल जब स्कूल पहुंचा तो उसने स्थानीय पत्रकार पवन जायसवाल का फज्ञेन कर बुलाया। रुक्मणी देवी के मुताबिक ज्यादा देर हो जाने के चलते उसने बच्चों को नमक रोटी बांट दिया। हालांकि जब नमक रोटी बांटी जा रही थी उस समय प्रिंसिपल मुरारी गेहूं और चावल लेकर पहुंचे थे। उनके आने के तुरंत बाद नमक रोटी बच्चों को बांटी गयी।
स्कूल में तैनात शिक्षामित्र शांति देवी के मुताबिक स्कूल में काफी देर तक मिड डे मील को लेकर आपस में बहस होती रही है। अभिभावक बच्चों को नमक रोटी खिलाए जाने का विरोध कर रहे थे। छात्र काजल का कहना था कि दो घंटे बैठने के बाद उन लोगों को नमक रोटी दी गयी थी। खास बात यह पता चली कि प्रिंसिपल मुरारी को छोड़कर रसोइया और शिक्षामित्र गांव के ही रहने वाले हैं। पूरी बातचीत में यह बात साफ हो गयी कि उस दिन बच्चों को नमक रोटी खाने को दिया गया था और दूसरी यह कि जिला प्रशासन जो दावा कर रहा है उसमें अभी कई सवाल छूट गए हैं।