प्रसिद्ध अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी संदीप सिह ने अपने बचपन से लेकर भारतीय हॉकी टीम के कैप्टन बनने, पिक्चर सूरमा तक की घटना लगभग दो घण्टे तक सुनाई। उन्होंने बताया कि मात्र 17 वर्ष की उम्र में अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी मैच 2004 में सुल्तान अजलान शाह कप मे खेलकर किया। भारतीय हॉकी टीम का कैप्टन बनाया गया 2009 मे सुल्तान अजलान शाह कप जीता। 2010 अर्जुन अवार्ड से पुरस्कृत किया गया।
संदीप सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन के सबसे कठिन दौर 2006 में देखा, कालका शताब्दी ट्रेन से दिल्ली जाते समय दुर्घटनावश कमर मे गोली लगने से पैरालाइसिस का शिकार हो गया। उस दौरान डॉक्टर ने कहा कि बचना मुश्किल है, प्रयास करता हूं लेकिन ये आज के बाद अपने पैरों पर चल नही पायेगा, लेकिन अपने दृढ़़ निश्चय व कठिन परिश्रम से भारतीय हॉकी टीम मे वापसी किया।
भारत की व्यवस्था को लेकर उन्होंने कई बार कटाक्ष किया और बच्चों से कहा कि आप लोगों से इसलिए बता रहा हूं कि हमलोग व्यवस्था को बुरा बनाते हैं लेकिन आप लोग बड़े होकर इसे सुधार सकते है।
इस दौरान उपस्थित बच्चों ने कई प्रश्न उठाये जिसके जवाब मे उन्होंने कहा कि अनुशासन ही खिलाड़ी को महान बनाता है, जीवन में कितने भी ऊंचाई पर पहुंच जाओ लेकिन पैर जमीन पर ही रहना चाहिए। उन्होंने अभिभावको से कहा कि लड़कियां हमारा सम्मान हैं और लड़कियों को थोड़ा आगे ही रखिये।
इसके पूर्व गणेश जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। बच्चों ने सूरमा फिल्म के गीत पर मनमोहक सामुहिक नृत्य प्रस्तुत किया। विद्यालय की निदेशिका व सचिव जगदीप मधोक ने अतिथि को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम से सम्मानित किया।
कार्यक्रम के संयोजक आपरेशन हेड रोहन मधोक ने अतिथियो का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि महान खिलाड़ी को आमंत्रित करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि विद्यार्थी उनके जीवन से प्रेरणा ले व भविष्य मे सफलता प्राप्त करें। इस मौके पर सलोनी मधोक, केके पण्डा, संजीव झा, कंचन सिह ,अब्दुल कलाम अंसारी, कमलेश यादव, मनीष अग्रहरी, कान्ता सिह, पिन्टू पटेल आदि तमाम लोग उपस्थित रहे।
BY- SURESH SINGH