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मिर्जापुर

खुशखबरी: जल्द चालू होगा पूर्वांचल का यह एयरपोर्ट, इतने शहरों के लिए डायरेक्ट फ्लाइट की मिलेगी सुविधा

खुशखबरी: जल्द चालू होगा पूर्वांचल का यह एयरपोर्ट, इतने शहरों के लिए डायरेक्ट फ्लाइट की मिलेगी सुविधा

मिर्जापुरMay 18, 2018 / 05:55 pm

ज्योति मिनी

मिर्जापुर. जिले में हवाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बन्द पड़े झिंगुरा हवाई अड्डे के दिन लौटने के आसार दिखाई पड़ रहे हैं। शहर से मात्र आठ किलोमीटर दूर झिंगुरा में स्थित हवाई पट्टी 15 हेक्टेयर क्षेत्र फल में मौजूद है। जबकि इसके लिए निर्धारित विभिन्न ग्रामों में लगभग 60 हेक्टेयर से अधिक जमीन उपलब्ध है। यह जमीन पड़री इलाके के हुरुआ, देवरी, मुल्हवा, चपऊर, दुबेपुर, अकसौली, महेबा गाँव मे मौजूद है।
हालांकि इस जमीन पर बहुत दिनों से स्थानीय लोगो का कब्जा है। हवाई पट्टी का कुछ भाग अभी भी सुरक्षित है। मगर अधिकांस भाग अतिक्रमण के कारण नष्ट हो चुका है। अधिकारियों ने लिया जायजा हवाई पट्टी के दिन बहुरने कि एक बार फिर से उम्मीद जगी है। हवाई पट्टी पर सुबिधाओं के आकलन के लिए बीते दिनों कमिश्नर विंध्याचल मंडल मुरलीमनोहर और जिला अधिकारी अनुराग सिंह पटेल दल बल के साथ इस हवाई पट्टी का जायजा भी लिया था।
हवाई पट्टी पर स्थानीय लोगों के अवैध कब्जे को चिन्हित कर खाली करवाने के लिए जल्द ही सरकारी सम्पत्ति दुरुपयोग के तहत कब्जा धारियों पर कार्रवाई की तैयारी जिला प्रशासन के तरफ से की जा रही है। साथ ही हवाई पट्टी को कब्जा मुक्त करवा कर इसे चारों तरफ से चहारदीवारी से घेरने के लिए प्रोजेक्ट बना कर शासन को भेजा जाएगा।
उम्मीद जताई जा रही है, अगर शासन ने ध्यान दिया तो यह हवाई हवाई अड्डा चालू होने से वाराणसी, इलाहाबाद के मध्य में स्थित यह हवाई पट्टी पर्यटन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे पर्यटन के दृष्टि से संपन्न विंध्य क्षेत्र में पर्यटन का विकास होगा। जिले के वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार सलिल पांडे का कहना है है कि, हवाई पट्टी के चालू होने से रोजगार के अलावा स्थानीय पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी उतर चुकी हैं। इस हवाई पट्टी पर झिंगुरा हवाई पट्टी पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के प्रसिद्ध उद्योगपति बिड़ला के साथ उतर चुके हैं। इसके निर्माण के बारे में निश्चित तिथि तो नहीं है, मगर इस पर आजादी के बाद जहाज उतरे रहे है। अनुमान है कि, यह पूर्ण रूप से पचास के दशक में पूरी तरह से तैयार हो चुका था। उस दौरान मिर्ज़ापुर, सोनभद्र और भदोही एक ही जनपद मिर्ज़ापुर के रूप में था। जिसमे देश कि सबसे बड़ी परियोजना रिहंद बांध का निर्माण 1962 में पूर्ण हुआ।
उसी समय 1958 मे रेनुकूट में बिरला कि प्रसिद्ध हिंडाल्को कंपनी की शुरुआत हुई थी। दो महत्वपूर्ण परियोजना के कारण यहां अधिकारियों और उद्योगपति के आवागमन के लिए इस हवाई अड्डे का बखूबी इस्तेमाल हुआ। आवागमन के लिए हवाई सुबिधा होने के कारण ही हवाई अड्डे से पांच किलोमीटर दूर मोहनपुर में तत्कालीन सांसद श्यामधर मिश्रा जो केंद्र सरकार में उप मंत्री थे उन्होंने खाद कारखाने के लिए सर्वे करवाया था। मगर बाद में कुछ कारणों से यह स्थापित नहीं हो पाया। बताया जा रहा है 1988-89 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी इस हवाई पट्टी पर उतर चुकी है। हालांकि इसके बाद यह यह हवाई पट्टी उपेक्षा का शिकार हो गई। कोई भी जहाज इस हवाई पट्टी पर नहीं उतरा।धीरे-धीरे स्थानीय लोग इस पर कब्जा करते गए। आज खाली जमीन पर खेती और हवाई पट्टी पर पशुओं को बांधने और घरेलू कामो में इस्तेमाल हो रहा है।
input सुरेश सिंह

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