scriptदीपावली के सीजन में भी नहीं बढ़ा कुम्हारों का कामकाज, खर्च निकालना हुआ मुश्किल | kumhar in badly condition after moder market dipawali | Patrika News

दीपावली के सीजन में भी नहीं बढ़ा कुम्हारों का कामकाज, खर्च निकालना हुआ मुश्किल

locationमिर्जापुरPublished: Oct 23, 2019 09:57:53 pm

Submitted by:

Ashish Shukla

आधुनिक दौर में बाजार में मिट्टी के दियों कि घटती डिमांड ने स्थिति को दयनीय कर दिया है

dipawali

आधुनिक दौर में बाजार में मिट्टी के दियों कि घटती डिमांड ने स्थिति को दयनीय कर दिया है

मिर्ज़ापुर. दीपावली पर्व पर मिट्टी के दीपक जलाकर पर्व को मनाया जाता है। मगर अब समय बदल गया। घरों में मिट्टी के दीपक के स्थान पर आधुनिक चाइनीज झालर और रंग बिरंगे बिजली के बल्ब स्थान ले लिए है। लिहाजा दूसरों के घरों को रोशन करने वाले कुम्हारों का जीवन आज अंधेरे में है। आधुनिक दौर में बाजार में मिट्टी के दियों कि घटती डिमांड ने स्थिति को दयनीय कर दिया है।
दीपावली का त्योहार नजदीक आते ही कुम्हार मिट्टी के दीपक खिलौने बनाने में पूरे परिवार के साथ जुट जाते थे। न इससे परिवार को जहां रोजगार मिलता था। वही मिट्टी के दिये और बर्तन बनाकर कुम्भार साल भर की आमदनी कर लेते थे।
मगर आधुनिकता की दौड़ में आज मिट्टी के दियों की जगह इलेक्ट्रॉनिक झालरों की लेने से कुम्हारों के घरों में खुद अंधेरा पसरता जा रहा है । आज स्थिति यह है कि महंगे लागत पर मिट्टी के दीये के तैयार किए जा रहे है। मगर उनकी लागत भी नहीं निकल पा रही है। इसके चलते कुम्हार आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। परिवार का गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है।
कुम्हार समाज से जुड़े विष्णु प्रजापति और दिनेश प्रजापति का कहना है कि अब तो इन दियों में लगायी गयी पूजी निकलना मुश्किल हो गया है। इस इस पुस्तैनी कारोबार को छोड़ने की नौबत आ गई है। बच्चों को इस पेशे से दूर कर रहे है। कुम्हार समाज चिंतित है कि आने वाले समय मे अगर इसी तरह से मिट्टी के समान की बिक्री घटती रही तो परिवार का खर्च कैसे चलेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो