कश्मीर के बारामुला में शहीद जवान रवि कुमार सिंह का भदोही से है गहरा नाता
मिर्जापुर के रहने वाले शहीद रवि कुमार सिंह का भदोही के सेमराधनाथ स्थित पुरवा गांव में था ननिहाल, तीन साल यहीं रहकर पढ़ाई भी की।

भदोही. जम्मू कश्मीर के बारामुला में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ लेाहा लेते हुए शहीद हुए मिर्जापुर के जवान रवि कुमार सिंह का भदोही के सेमराधनाथ स्थित पुरवा गांव से गहरा नाता है। पुरवा गांव में उनका ननिहाल है। वह जनपद में बचपन में तो आते ही थे, तीन साल यहीं रहकर शिक्षा भी ग्रहण की। यही वजह है कि भदोही से शहीद रवि सिंह का काफी गहरा नाता है। आतंकवादियो के पीछे से वार करने के चलते रवि सिंह शहीद हो गये। शहीद होने की खबर जैसे ही परिजनों के साथ भदोही के पुरवा गांव में ननिहाल को मिला तो उनपर दुखों का पहाड़ टूट गया। ननिहाल के लोग अपने वीर खोने पर जैसे सुधबुध गंवा बैठे। शहीद रवि का शव तिरंगे में लपेटकर जैसे ही गृह जिला मिर्जापुर पहुंचा वैसे ही ननिहाल के लोग उफनाती गंगा की परवाह किये बगैर स्टीमर के जरिये गंगा पारकर बेटी के घर जा पहुंचे और शहीद के शव के पास बैठकर फूट-फूटकर रोए।
ज्ञात हो कि मिर्जापुर जिले के गौरा जिगना गांव निवासी रवि कुमार सिंह पुत्र संजय कुमार सिंह 2013-14 में सेना ज्वाइन कर भारत माता की रक्षा का संकल्प लिया। लगभग सात साल तक संकल्प से पीछे नहीं हटे। वर्ष 2020 में काश्मीर के पुलवामा में आतंकवादी गतिविधियांं पर रोक लगाने के लिए पीछे नही हटे। 17 अगस्त को वो समय शहीद के लिए अन्तिम था। दोपहर का वक्त था आतंकवादी गतिविधियो में तेजी को देखते हुए उन पर पैनी नजर रखने के साथ ही दो को मार गिराया। जैसे-जैसे इनका कदम आगे बढ़ता गया वैसे-वैसे आतंकवादियों के क्रिया कलाप में कमी आने लगी। लेकिन रवि सिंह को आगे बढ़ता देख अपनी फितरत के मुताबिक आतंकियों ने पीछे से उनकी पीठ पर वार कर दिया। जब तक वह पीछे देखकर उसे निशाना बनाते, जब तक दूसरे आतंकवादी ने सिर पर वार कर दिया और भारत का यह वीर सपूत वही शहीद हो गया। बावजूद इसके कोई भी आतंकवादी पास भटकने की कोशिश भी नहीं की। यह आतंकवादियो के मन में भय से बना हुआ था कि मानो कहीं दोबारा न उठ खड़ा हो जाए।
शहीद रवि सिंह का जन्म मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। पिता संजय सिंह व माता रेखा सिंह का यह एक मात्र लाल था। इनकी दो बहने हैं। शहीद रवि सिंह ने भदोही के रामदेव पीजी कालेज जंगीगंज में वर्ष 2011 से 2014 तक कप्यूटर की शिक्षा ग्रहण की। पूरे रीति रिवाज के साथ प्रियंका सिंह का हाथ वर्ष 2018 में थामकर जीवन भी साथ निभाने का वादा किया, परन्तु ईश्वर को यह मंजूर न था।
गांव के बच्चो को करते थे ट्रेंड
शहीद रवि सिंह को जब भी गांव में आने का मौका मिलता था तो वे घर पर बैठकर या रिश्तेदार के यहां जाकर समय व्यतीत नहीं करते थे। बल्कि सुबह और शाम गांव में कैम्प लगाकर गांव के युवाओं को ट्रेंड करते थे। ट्रेनिंग के दौरान यह हमेशा जवान बनकर देश सेवा करने की शिक्षा देते थे। इसके साथ ही जिस युवा के पास ट्रेनिंग लेने में कुछ आर्थिक समस्या होती थी तो अपना धन लगाकर उसको पूरा करते थे।

परिवार को ढांढस बधानें पहुचे जनपदवासी
मिर्जापुर जिले के गौरा जिगना गांव निवासी शहीद रवि सिंह के घर भारी संख्या में जनपदवासी पहुचकर चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए शोक श्रद्घांजलि अर्पित की गयी। श्रद्घांजलि देने पहुचे जिलाध्यक्ष भाजपा विनय श्रीवास्तव, महामंत्री रमेश पाण्डेय, संतोष तिवारी, उपाध्यक्ष सुरेन्द्रनाथ पाण्डेय, शिवसागर मिश्र, अनिल सिंह मुन्ना, गोवर्धन राय, नवीन मिश्र, कपिलदेव पाण्डेय आदि लोगो ने परिजनों को ढाढस बधाया और दो मिनट का मौन रखकर गतात्मा की शांति ईश्वर से प्रार्थना भी की गयी।
By Mahesh Jaiswal
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