ग्रामीणों का आरोप है कि नहर विभाग को सूचित करने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई और न अभी तक नहर विभाग से संबंधित कोई अधिकारी मौके पर पहुंचा। यदि यही हाल रहा तो पानी का रफ्तार तेज होने के कारण दर्जनों गांव इस पानी की चपेट में आ सकते हैं। सूत्रों की मानें तो यह नहर कई जगहों पर जर्जर हो चुकी है। जबकि शासन की तरफ से प्रतिवर्ष नहरों की मरम्मत के लिए लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। ऐसा लगता है कि काम को केवल कागजो पर ही पूरा किया जाता है, जबकि जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती हैं।
By Suresh Singh
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