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इस प्रतिष्ठित सीट पर अभी तक नहीं खुला सपा का खाता, इस बार है कांटे की लड़ाई

locationमिर्जापुरPublished: Oct 26, 2017 02:00:32 pm

इन नगर पालिका सीट पर अभी तक जीत हासिल नहीं कर पाई है समाजवादी पार्टी, इस बार भी गुटबाजी तेज, कहीं उम्मीदों पर फिर न पानी फिर जाय

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इस प्रतिष्ठित सीट पर अभी तक नहीं खुला सपा का खाता,

मिर्ज़ापुर. निकाय चुनाव कि घोषणा के बाद जिले में चुनाव को लेकर सरगर्मी शुरू हो गयी है। जनपद में तीन नगरपालिका और एक नगर पंचायत सीट पर चुनाव होना है। जिसमें से नगरपालिका परिषद मिर्ज़ापुर, नगरपालिका परिषद, चुनार, नगरपालिका परिषद अहरौरा और कछवा नगरपंचायत शामिल हैं। मिर्ज़ापुर नगर पालिका परिषद और चुनार नगरपालिका परिषद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं। जबकी कछवा नगरपंचायत और अहरौरा नगरपालिका परिषद पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षित है। मगर इन सभी में जिले की राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठा की सीट मानी जाने वाली नगरपालिका परिषद मिर्ज़ापुर की सीट पर भाजपा और सपा के साथ-साथ कांग्रेस व बसपा के बीच कांटे की लड़ाई होनी तय है। नगर पालिका परिषद मिर्ज़ापुर में अध्यक्ष पद पर अभी तक राष्टीय दलों भाजपा और कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा है। वर्तमान में यह सीट भाजपा के कब्जे में है। भाजपा की राजकुमारी खत्री अध्यक्ष हैं।
सपा की मुसीबत एक बार फिर गुटबाजी शुरू

-मगर इन सब में सबसे दिलचस्प है इस सीट से अभी तक सपा और बसपा जैसे क्षेत्रीय दलों का खाता भी नहीं खुला है। जबकि प्रदेश में दोनों दलों कि सरकार राह चुकी है। मिर्ज़ापुर नगर पालिका परिषद में कुल 1लाख 90 हजार 64 मतदाता 38 वार्ड सदस्यों के साथ-साथ नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। मगर सबसे विकट स्थिति सपा कि है। आपसी गुटबाजी एक बार फिर सपा पर हाबी होती हुई दिखाई दे रही है। पार्टी में अभी तक अध्यक्ष पद के नाम पर एक राय से मुहर लगाने के लिए लोहिया ट्रस्ट में हुई हंगामे दार बैठक में किसी के नाम पर सहमति नहीं बन पाई।
हालात यह था कि, सपा के दो गुट आमने सामने हो गए। जहां एक गुट पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण दुबे के समर्थन में था। तो वहीं वैश्य वोट को साधने के लिए मंत्री गुट मेटल व्यवसाई अशोक केशरवानी को अध्यक्ष पद का टिकट देने का दबाब डाला रहा था। दोनों नामों में किसी एक पर सहमति नही बनने पर सपा जिला कमेटी ने सभी नामो को हाईकमान को भेज कर पूरी गेंद अब हाईकमान के पाले में डाल दिया है।
मगर पूरे मामले में एक बार फिर से सपा कि गोलबंदी सामने आ गई। सपा अभी भी अध्यक्ष पद के जीत से महरूम रही है।पिछले नगरपालिका चुनाव में भी गुटबाजी का खामियाजा भुगत चुकी सपा तीसरे नंबर पर थी। फिलहाल तो इस बार भी लड़ाई में मजबूत मानी जा रही सपा में एक बार फिर से गुटबाजी तेज होने से तो लगता यही है कि, अगर समय रहते सपा में गुटबाजी खत्म नहीं हुई तो कहीं एक बार यह सपा के लिए भारी न पड़ जाय। एक बार फिर उम्मीदों पर पानी फिर जाय।
भाजपा के लिए भी नहीं आसान है रास्ता

बता दें कि, मिर्ज़ापुर नगरपालिका परिषद कि सीट पर वैश्य बोटर ही हमेशा निर्णायक भूमिका अदा करता रहा है।भाजपा का गढ़ होने के कारण भाजपा कि हर बार इस सीट पर हमेशा पकड़ मजबूत रही है। मगर भाजपा भी इस बार संकठ में नजर आ रही है। एक तो भाजपा को पिछले पाँच सालो में किए गए कार्यों का जहा जबाब देना है। वहीं वर्तमान भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष राजकुमारी खत्री पर लग रहे आरोपों से जहां एक तरफ जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। भाजपा से निकाले गए कार्यकर्ता अब इस मुद्दे को हवा देने में लगे हुए हैं। वहीं आने वाले समय मे भाजपा और नगरपालिका अध्यक्ष को उठ रहे सवालों पर जनता के बीच जबाब देना पड़ेगा। मगर भाजपा के लिए राहत यही है कि विपक्ष भी कई गुटों में बटा हुआ नजर आ रहा है। कॉग्रेस दुबारा से अपनी खोई जमीन और इस सीट को हासिल करने के लिए नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए प्रत्यासियों को अभी तय नहीं कर पा रही है। फिलहाल सभी की निगाहें पहली बार नगरपालिका का चुनाव लड़ने जा रही बसपा कि रणनीति पर है। मगर यह तो तय है कि, एक तरफ जहां विधान सभा चुनाव के तुरंत बाद हो रहे नगर निकाय चुनाव पर इस सीट पर दुबारा जीत हासिल कर भाजपा जीत के क्रम को बरकरार रखना चाहेगी तो सपा प्रदेश की सत्ता गवाने के बाद जीत हासिल कर खुद अभी भी सशक्त होने का दावा पेश करेगी।
INPUT- सुरेश सिंह

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