सोशल मीडिया पर नाम बदलने को लेकर बकायदा वोटिंग भी शुरू हो गयी है। इलाहाबाद और वाराणसी के बीच विंध्य तलहटी में बसे मिर्ज़ापुर का नाम बदलने कि चर्चा इन दिनों सोशल मीडिया में खूब चल रही है। फेसबुक पर पोस्ट कर बालेंदु सिंह इसका नाम बदल कर विंध्याचल करने कि मांग कर रहे हैं। वहीं ट्विटर पर भी जिले का नाम बदलने को लेकर खूब बहस हो रही है। बृजेश मिश्रा नाम के प्रोफाइल से ट्वीट कर जिले का नाम बदल कर विंध्याचल या विंध्यनगर करने के लिए सुझाव मांगा गया है। इतना ही नहीं नाम में बदलाव को लेकर ट्वीट कर बाकायदा वोटिंग भी हो रही है। हालांकि राजनीतिक दलों में अभी सिर्फ भाजपा के नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा ने ही पहले इस जिले का नाम मां विंध्यवासनी के नाम पर बदल कर विंध्य धाम करने कि मांग की है।
जिले का नाम बदलने के पीछे भी एक तर्क दिया जा रहा है।कि प्राचीन मिर्ज़ापुर नाम मुगलों और अग्रेजों के समय रखा गया था, जबकि जिले की पहचान विश्व पसिद्ध मां विंध्यवासनी देवी के मंदिर से ही ज्यादा होती है। इस लिए इसका नाम बदल कर विंध्य धाम या विंध्याचल कर की बात की जा रही है। हालांकि नाम मे बदलाव होना या नही यह तो समय बताएगा मगर एक बार फिर से जिस तरह से इलाहाबाद के नाम मे बदलाव हुआ है। इस नाम बदलने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है।
जिले के नाम को लेकर विवाद पहले से रहा है जिले के नाम को लेकर पहले से ही विवाद रहा है। यह इकलौता जिला है जो आज भी यह दो नामों से जाना जाता है। सरकारी अभिलेखों में जिले का नाम मीरजापुर मिलता है। मगर रेलवे स्टेशन व कुछ जगह इसका नाम मिर्ज़ापुर मिलता है।समय समय पर सामाजिक संगठनों द्वारा जिले के नाम को सही कर मीरजापुर करने कि मांग की जाती रही है। मगर आज भी यह बदलाव नही हो पाया है। दरअसल नाम को लेकर भ्रम प्राचीन अभिलेखों से भी होता है। पुराणों के अनुसार विंध्य पर्वत कि तलहटी में बसे इलाके को गीराजापुर के नाम से जाना जाता है। गीर का अर्थ होता है पर्वत कि नगरी से। बाद के समय मे यह मीरजापुर हो गया। जिसका अर्थ लक्ष्मी कि नगरी से होता है। बीच मे छठी ईवी में कंतित नरेश के कारण इसे कंतितपुर के नाम से भी जाना जाता रहा है।कहते है मुगल के समय इसका नाम मीरजापुर से मिर्ज़ापुर हो गया। जो आगे चल कर 17 वीं ई में अग्रेजो के सरकारी गलेटियर में भी इसे मिर्ज़ापुर के नाम से ही दर्ज किया गया है। तभी से इस नाम को लेकर विवाद चला आ रहा है।
By Suresh Singh