पुलिस के मुताबिक मृतक राधेश्याम ने तीन शादियां की थीं। पहली पत्नी सीता से से पुत्र तौलन हुआ। राधेश्याम ने पहली पत्नी सीता को 40 साल पहले छोड़ दिया था। जिसके बाद उसपर अपने भाई की हत्या का आरोप भी लगा और मुकदमा दर्ज हुआ। हालांकि मामले में सुलह हो गई। बाद में उसने अपने मृतक भाई की पत्नी कलावती से शादी कर लिया। राधेश्याम को कलावती से एक लड़का जितेंद्र हुआ। कुछ समय बाद कलावती की बीमारी से मौत हो गयी। राधेश्याम की तीसरी शादी सोनभद्र निवासिनी सुगवन्ती से हुई। दोनों पत्नियों से मिला कर पांच बच्चे है।
इस बीच राधेश्याम ने अपनी पहली पत्नी से लड़के तौलन को सम्पत्ति में कोई हिस्सा नही दिया। तौलन के काफी समझाने पर 50 हजार रुपयें में उसे गोसाई पुरवां में आधा विस्वा जमीन दिया, सटी हुई आधा विस्वा जमीन दूसरी पत्नी के लड़के राजेन्द्र के हिस्से में गई, जिसे तौलन ने मांगा तो उसने और पैसे की मांग कर दिया। इसी बीच तौलन को राजेन्द्र के नाम से राजगढ़ में चौदह बिस्वा जमीन खरीदे जाने और राधेश्याम की विंध्याचल के कचरिया की नई बस्ती में बने मकान और जमीन को 30 लाख रुपये में बेचकर राजगढ़ में बस जाने की योजना का पता चला। इसके चलते बेटे तौलन और राधेश्याम के बीच विवाद बढ़ गया।
पिता कि संपत्ति में हिस्सा न मिलता देख तौलन की पत्नी सरिता ने जयप्रकाश मौर्य को बुलाकर सारी बात बतायी और पति तौलन को मिलाकर राधेश्याम की हत्या की योजना बना डाली। जयप्रकाश ने मौसेरे भाई सूरज और रिश्तेदार अजय मौर्य व उसके पड़ोसी पिन्टू विश्वकर्मा को साथ लाकर सरिता और तौलन से मिलवाया। असलहा खरीदने के लिए उन्हें 8 हजार रुपये दिये। दो लाख रुपये जमीन का हिस्सा बेचकर हत्या के बाद देने का की बात तय हुई। गुटखा मांगने के बहाने दुकान पर पहुंचे बाइक सवार उक्त आरोपियों ने सोते हुए राधेश्याम की गोली मारकर हत्या कर दी।
By Suresh Singh