उन्होंने कहा कि मुसलमानों से हिंदुओं की उदारता और आस्था का सम्मान करते हुए मंदिर निर्माण का मार्ग प्रश्स्त करने का आह्वान किया। कहा कि हिंदुओं पर कृपा करते हुए नहीं बल्कि हिंदुओं का स्वामित्व उन्हें मिले इस भावना के साथ मंदिर निर्माण में सहयोग करना चाहिये, इससे उनका भला होगा। दावा किया कि जितने भी दूरदर्शी मुस्लिम होंगे उनका हृदय भी इस बात को समझता होगा। स्वामी निश्चलानंद ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे राम मंदिर केस की आधारशिला को ही गलत करार दे दिया। कहा के यह अधारशिला ही गलत है कि मस्जिद हो और नमाज ना हो,, मंदिर हो पूजा हो, इस आधार पर केस चलना खतरनाक है।
कोई प्रधानमंत्री मंदिर निर्माण में सक्षम प्रतीत नहीं होता उन्होंने भाजपा कांग्रेस समेत समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को भी मंदिर और राम के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया। कहा कि मुलायम सिंह यादव ने निर्दोष राम भक्तों पर गोलियां चलवाई तो दूसरी तरफ भाजपा और कांग्रेस जैसी पार्टियों ने रामलला का नाम लेकर सत्ता हासिल की लेकिन किसी ने राम की चिंता नहीं की। कोई प्रधानमंत्री इस समय कोई दल मंदिर निर्माण कराने में सक्षम प्रतीत नहीं होता। सरदार पटेल जैसा संकल्प मंदिर निर्माण के लिए जरूरी है ।जिस प्रकार से नेहरू की असहमति के बावजूद सरदार पटेल ने सोमनाथ के मंदिर का निर्माण तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद से शिलान्यास करके कराया था, वैसे ही संकल्प शक्ति यदि किसी मे होगी तब ही रामलला का मंदिर बन सकता है निर्माण हो सकता है।
मंदिर मस्जिद साथ् बनते तो होता नुकसान साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मैं ही वह शंकराचार्य हूं जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की उस मांग को खारिज किया था जिसमें रामालय ट्रस्ट द्वारा यह मांग शामिल थी कि मंदिर और मस्जिद दोनों अयोध्या में बन जायें ।कहा कि उस पर उस वक्त मैंने हस्ताक्षर कर दिया होता तो आज अयोध्या में मंदिर और मस्जिद दोनों बन जाता ।लेकिन मैंने हस्ताक्षर इसलिए नहीं किया कि मंदिर के साथ मस्जिद बनती तो हमारी संस्कृति हमारी आस्था को नुकसान पहुंचता।
By Suresh Singh