मिर्जापुर के प्रगतिशील किसान बांसदेव पाण्डेय और उनकी पत्नी कनकलता पाण्डेय और उनके पति परंपरागत खेती से जुड़े रहे हैं और खेतों में सब्जियां भी उगाते हैं। पर अब तक लागत और कमाई में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता था। इस बीच रिटायरमेंट के बाद बांसदेव अपनी पत्नी को लेकर बेटे के पास अमेरिका गए तो वहां की खेती के ने उन्हें बहुत प्रेरित किया। छह माह दोनों वहां रहे और वहां से खेती के तौर तरीकों को मिर्जापुर में अपनाया तो उनका प्रयोग बेहद सफल रहा।
उन्होंने महज दो बीघे में 60 हजार रुपये की लागत से टमाटर की खेती की। ऐसे टमाटर उगाए जो विदेश के बाजारों में धूम मचा रहे हैं। नतीजा ये हुआ कि सिर्फ दो महीने में ही वह तीन लाख रुपये की कमाई कर चुके हैं। किसान दंपत्ति का कहना है कि अभी मई तक टमाटर की पैदावार होगी और उम्मीद है कि कई लाख रुपये का मुनाफा हो। उन्होंने बताया कि टमाटर की फसल वह बनारस भेजते हैं जहां इनकी पैकिंग होती है और इसके बाद ये लंदन और ओमान भेज दिये जाते हैं। नेपाल के लिये उनका माल सीधे जाता है।
ऑर्गेनिक टमाटर उगाया
किसान दम्पति ने ऑर्गेनिक खेती का रुख किया। कृषि विभाग की सहायता से उन्हें दुर्गा प्रजाति के बीज का चयन किया। कृषि विभाग ने भी उनकी पूरी मदद की। जिला उद्यान अधिकारी मेवालाल ने बताया कि ये एक उन्नत किस्म का जैविक टमाटर है, जिसकी पैदावार अधिक होता है। इसके अलावा यह जल्दी खराब नहीं होता। यही वजह है कि विदेशों में इसकी डिमांड ज्यादा रहती है और यह लंदन व खाड़ी देशों में भेजा जाता है।
तकनीक से कम हुई लागत
सही बीज के चयन के अलावा किटनाशकों व रसायनों का प्रयाेग कम से कम किया गया। इसके अलावा सिंचाई के लिये ड्रिप इरिगेशन विधि का इस्तेमाल किया, जिससे पानी की बर्बादी से भी बचे। सिंचाई, रोपण और जैविक प्रबंधन, कीट की रोकथाम और सही देखभाल से लागत कम हो गई, जबकि पैदावार बढ़ गई।
स्ट्राॅॅॅबेरी और शिमला मिर्च की खेती का है प्लान
कनकलता ने बताया कि उनके खेतों में उगाए टमाटर विदेशों में हाथों हाथ लिये जा रहे हैं। अभी एक सप्ताह में 1 कुंतल तक पैदावार हो रही है। बांसदेव पाण्डेय ने बताया कि टमाटर की खेती सफल रही, अब अगने साल से स्ट्राॅबेरी और शिमला मिर्च की खेती का प्लान है।
उपकृषि निदेशक विंध्याचल मंडल अशोक कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि सीखड़ ब्लाॅक के नवचेतना फार्मर प्रोड्यूज आर्गनाइजेशन (एफपीओ) की सदस्य कनकलता दुर्ग प्रजाति का टमाटर उगा रही हैं और उनके खेतोंकाट माटर लंदन और ओमान जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ी कामयाबी है। मिर्जापुर का टमाटर पहले से ही अच्छी क्वालिटी का रहा है। अब इन्होंने परिश्रम करके अच्छा काम किया है। यूपीडा ने भी इसे क्लियर कर दिया और हम विदेश भेजने में सफल रहे।
By Suresh Singh