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यहां लगता है भूतों का अनोखा मेला, दूर-दूर से लाखों की संख्या में आते हैं लोग

locationमिर्जापुरPublished: Nov 17, 2018 02:48:11 pm

Submitted by:

sarveshwari Mishra

अहरौरा इलाके में बेचूबीर के सामाधि स्थल पर यह मेला तीन दिनों तक चलता है

Ghost fair

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मिर्ज़ापुर. अभी तक आपने कई तरह के मेले देखे होंगे लेकिन यूपी के मिर्जापुर में ऐसा मेला लगता है जहां लाखों की संख्या में भूत और प्रेत जादू-टोने से छुटकारा पाने के लिए लोग आते हैं। इस मेले में इंसानों से अधिक भूत-प्रेत का जमावड़ा होता है। इस मेले में इंसानों की नहीं बल्कि भूत, चुडैल और डायनों का जमावड़ा लगता है। मेले के आयोजकों का दावा है कि यह मेला 350 वर्षों से लगातार लग रहा है। यहां भूतों से छुटकारा मिलता और निसंतान को संतान कि प्राप्ति होती है। अंधविश्वास के इस मेले को भूतों का मेला भी कहा जाता है।

मिर्जापुर के अहरौरा थाना क्षेत्र के बरही गांव में बेचुबीर की चौरी पर भूतों का मेला लगता है। अंधविश्वास के इस मेले में भूतों की भीड़ लगती है जहां पर कथित तौर पर भूत, डायन और चुड़ैल से मुक्ति मिलती है। दावा किया जाता है कि यह मेला पिछले लगभग 350 सालों से चला आ रहा है। यहां बिहार,मध्य प्रदेश और पूर्वी यूपी से लाखों लोग तीन दिन तक चलने वाले इस मेले में भूत प्रेत जैसी बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए लोगों की भीड़ जुटती है। मेले में पहुंचने वाले लोग मेले से दो किलोमीटर दूर भक्सी नदी के किनारे स्नान करने के बाद अपने सारे वस्त्र वही नदी के किनारे छोड़ देते है। इसके बाद वह मेला क्षेत्र में मौजूद बाबा बेचूबीर के समाधि स्थल पर पहुचते है। यहां पहुचते ही भूत प्रेत की बाधा से परेसान लोग झूमने लगते है। बेबूबीर कि समाधि के सामने बैठ कर सैकड़ों लोग एक साथ झूमते रहते है। यहां यह मान्यता है कि समाधि के पास मौजूद हवन कुंड की अग्नि चावल फेकने से उनके में सारे भूत खत्म हो जाते है। इसके अलावा इस मेले में संतान प्राप्ति के लिए भी लोग आते है।

मान्यता है कि मेले में बेचूबीर सामाधि के दर्शन करने से संतान कि प्राप्ति होती है। मेला में आशीर्वाद दिलाने के लिए अपने बच्चो को भी ले कर आते है। उन्हें अग्नि कुंड और सामाधि स्थल का ले जा कर आशीर्वाद दिलवाते है। बिहार से मेले आए भक्त रविन्द्र और उनके साथियो का कहना है कि वह लोग तीन साल से इस मेले में आ रहे है।रविन्द्र हर वर्ष अपने प्रेत बाधा से पीड़ित पिता को लेकर यहां आते है। मेले में सुरक्षा के लिए पुलिस की तैनाती होती है। मगर मेले की व्यवस्था औऱ बेचुबाबा के समाधि की देखभाल उनके 6 वंशज ही करते है। बेचूबीर के बारे में बताते हुए उनके वंशज सामाधि स्थल के पुजारी दलबीर सिंह यादव का कहना है कि बेचूबीर भगवान शंकर के साधना में हमेशा लीन रहते थे परम योद्धा लोरिक इनका परम भक्त था एक बार लोरिक के साथ बेचुबीर इस घनघोर जंगलमें ठहरे थे भगवान शिव की आराधना में लीन थे तभी उनके ऊपर एक शेर ने हमला कर दिया तीन दिनों तक चले इस युद्ध में बेचूबीर ने अपने प्राण त्याग दिया और उसी जगह पर बेचूबीर की समाधि बन गयी तभी से यहां मेला लगता है जो तीन दिनों तक चलता है जहां भूत ,प्रेत के आलावा नि:सन्तान लोग भी आते हैं मेले में सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस भी लगाई जाती है। अहरौरा थानाध्यक्ष मनोज ठाकुर के देखरेख में मेले की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस और पी ए सी लगाई गयी है। फिलहाल भूत -प्रेत जैसे अंधविश्वास के पीछे एक गहरी सामाजिक धारणा होती है। जो लोगो के मन की गहराई में समाई होती है जिससे की कुछ लोग इसका गलत फायदा उठाने है।
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