जी हां यूपी के सिंचाई मंत्री ने शनिवार को मिर्जापुर में कहा कि इस विधा से एक हजार वर्ग किलोमीटर में बारिश करवाने में मात्र 5.5 करोड़ रुपये का ही खर्च आएगा। जबकि चीन इतने ही क्षेत्रफल में बारिश कराने के लिये 10.5 करोड़ रूपये मांग रहा था। मुख्यमंत्री योगी किसानों के हितों के लिए इस राशि को देने के लिए भी तैयार थे लेकिन वो अपने वादे से मुकर गया। चीन को लग रहा था कि हमारी तकनीकी भारत में पहुंच जाने से वहां के लोग इस आइडिया को अपने यहां डेवलप कर लेंगे जिससे बाद में हमें नुकसान होगा। लेकिन सीएम योगी ने ठाना था कि हर हाल में उन्हे अपने किसानों को लाभ देना ही है। इस तकनीकी के विस्तार के लिए सीएम योगी ने आईआईटी कानपुर के लोगों से बात किया। उन्होने यह चुनौती स्वीकार कर इस तकनीक को हासिल करने में सफलता पायी है।
कैसे होती है कृत्रिम बारिश कृत्रिम बारिश 4-5 चरणों में करवाई जाती है। सबसे पहले रसायनों का प्रयोग करके क्षेत्र की हवा को वायुमंडल के सबसे ऊपरी हिस्से में भेजा जाता है। जो बादलों का रूप ले लेती है। इसमें कैल्शियम आक्साइड, कैल्शियम क्लोराइड और यूरिया का इस्तेमाल होता है। कृत्रिम बादल हवा में मौजूद वाटर वेपर्स (पानी वाष्प) को सोखने लगते हैं। इसमें अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया आदि का प्रयोग किया जाता है। इससे बादलों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है। इसके बाद कई और रसायनों के इस्तेमाल से कृत्रिम बारिश कराई जाती है। सारा काम एयरक्राफ्ट या ड्रोन से संभव होता है।
सरकार के कामकाज की सराहना मंत्री ने मोदी सरकार के जल संरक्षण नीति की सराहना करते हुए कहा कि मोदी सरकार जल संरक्षण और एक बूंद से फसल के उत्पाद के क्षेत्र में बड़ी पहल पहले ही कर चुकी है। सीमांत और लघु सीमांत किसानों को इजरायली तकनीक से इस तरह की सिंचाई के लिए 90% अनुदान और बड़े किसानों को 80 फीसदी अनुदान दिया जाएगा।। जिससे किसानों के जीवन में बड़ा बदलाव आयेगा। वहीं मंत्री ने केन्द्र की मोदी और राज्य की योगी सरकार की जमकर सराहना किया है।