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मिर्जापुर

प्रियंका गांधी के लिए यूपी की यह तीन लोकसभा सीट बड़ी चुनौती, यहां सालों से नहीं जीत पाई है कांग्रेस

वर्षो से इस सीट पर नहीं जीती है कांग्रेस

मिर्जापुरJan 24, 2019 / 12:17 pm

sarveshwari Mishra

Priyanka Gandhi

Priyanka Gandhi

मिर्ज़ापुर. 23 जनवरी को प्रियंका गांधी की राजनीति में एंट्री हो गई। प्रियंका गांधी को पूर्वांचल का प्रभारी नियुक्त कर इनको बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई। अब पहली बार प्रियंका गांधी का सियासी तौर पर कौशल और रणनीति का इम्तिहान 2019 पूर्वांचल की 27 लोकसभा सीट के लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। लेकिन पूर्वांचल की राह उनके लिए इतनी भी आसान नहीं है। अगर विंध्याचय मंडल की बात करे तो इसमें शामिल तीन लोकसभा सीट मिर्ज़ापुर,सोनभद्र और भदोही मे से दो जिला मिर्ज़ापुर और सोनभद्र में 1989 के लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस की वापसी नहीं हो पायी है।

बता दें कि भदोही लोकसभा सीट बनने के बाद यहां से पार्टी कभी भी जीत हासिल नहीं कर पायी है। यहां पर पार्टी कोई खास प्रदर्शन भी नहीं कर पाई है। हालांकि पार्टी के लिए एक अच्छी खबर यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में भी पार्टी ने दो सीटों पर अपने मतों में वृद्धि किया था। अब प्रियंका गांधी के रूप में मजबूत नेतृत्व में पार्टी चौकाने वाला प्रदर्शन कर सकती है।

प्रियंका गांधी के लिए मंडल की इन तीनों सीटों पर अपने खोये हुए जनाधार को वापस पा कर पार्टी को जीत हासिल दिला पाना इतना आसान नहीं होगा। इसके लिए उन्हें खूब मेहनत करनी होगी। दमदार प्रत्यासी को मैदान में उतारना पड़ेगा। हालांकि मिर्ज़ापुर संसदीय सीट का इतिहास और 2014 लोक सभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन जरूर उम्मीद की किरण दिखता है। कांग्रेस का गढ़ रहे इस सीट पर पार्टी के कई दिग्गज नेताओं ने जीत हासिल किया है। पार्टी यहां से अंतिम बार 1984 में चुनाव जीत हासिल किया था। जब यहां से उमाकांत मिश्रा सांसद चुने गए थे। मगर 1989 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस इस सीट को पिछले तीन दशकों से दोबारा जीत हासिल नहीं कर पाई है। मगर पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी प्रत्यासी ललितेश पति त्रिपाठी ने डेढ़ लाख से अधिक मत पा कर तीसरे स्थान पर रहे मोदी लहर में भी कांग्रेस के मत प्रतिशत सबसे अधिक 7.48 प्रतिशत की वृद्धि हुई और पार्टी को 15.15 प्रतिशत मत हासिल हुआ था।काग्रेसी नेता छोटे खान का कहना है कि अगर इस सीट पर प्रियंका गांधी और पार्टी बेहतर रणनीति बना कर ध्यान देंगे तो इस सीट पर जीत हासिल हो सकती है।

क्योंकि यहां से ललितेश पति त्रिपाठी के रूप में युवा चेहरा पार्टी के पास है। वहीं अगर मंडल की दो अन्य सीटों की बात करे तो रॉबर्टसगंज सुरक्षित संसदीय सीट पर भी 1989 लोकसभा चुनाव में हार के बाद काग्रेस की वापसी आज तक नही हो पाई। खास बात तो यह है कभी जो एससी-एसटी वोट कांग्रेस का वोट बैंक हुआ करता था। बसपा ने उसे भी कांग्रेस से छीन लिया और धीरे धीरे कांग्रेस कमजोर होती गई। हालांकि इस सीट पर काग्रेस का उत्साह इस बात से बढ़ सकता है कि मोदी लहर में भी पार्टी ने मामूली ही सही मगर अपने मतों से वृद्धि किया था। पार्टी को 2009 के चुनाव में मिले 9.37प्रतिशत मत बढ़ कर 2014 के चुनाव में 9.73 प्रतिशत हो गया था। मगर काग्रेस के लिए सबसे ज्यादा निराशा भदोही संसदीय सीट से है। जहां पर अभी पार्टी ने खाता भी नही खुला है। पिछले 2014 के लोक सभा चुनाव में पार्टी ने 2 प्रतिशत मत पा कर पांचवे स्थान पर रही थी। फिलहाल इन तीनो सीट पर पार्टी को जीत राह पर लाने की बड़ी चुनौती प्रियंका गांधी के सामने होगा। मगर उनके प्रभारी बनने से कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह को देखते हुए उम्मीद जताया जा रहा है। आने वाले वक्त में प्रियंका गांधी इन सीटों पर पार्टी को एक बार फिर मजबूती के साथ खड़ा कर इन सीटों पर सशक्त चुनौती भाजपा और सपा-बसपा गठबंधन के सामने पेश करेगी।
BY-Suresh Singh

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