मिर्जापुर

साहब मैं जिन्दा हूं… सरकारी फाइलों से फटे मौत का पन्ना तो जी उठे भोला

पिछले 15 साल से भोला खुद को जिंदा साबित करने की कोशिश में लगा है
सीएम के हस्तक्षेप के बाद मिर्जापुर के अस्पताल में लिया गया “जीवित मृतक” का डीएनए सैंपल

मिर्जापुरJan 24, 2021 / 06:13 pm

रफतउद्दीन फरीद

मिर्जापुर का मृतक भोला

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

मिर्जापुर. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का भोला पिछले 15 साल से ये साबित करने में लगा है कि वह जिंदा है। हाथ-पांव सब सलामत हैं और सांसें भी चल रही हैं, लेकिन सरकारी कलम ने उसे मरा हुआ बता दिया है सो ये सब बेकार है। ‘साहब मैं जिंदा हूं, साहब मैं आदमी हूं भूत नहीं’ लिखी हुई तख्ती लेकर भोला कभी डीएम तो कभी किसी और अधिकारी के दफ्तर के सामने इस आस में बैठा रहता है कि जाने कब उसकी मौत का पन्ना फाड़कर फेक दिया जाए और वह सरकारी दस्तावेज में जी उठे। इन्हीं सरकारी दफ्तारों के कागजात से कुछ लोग लम्बे संघर्ष के बाद जिंदा होकर निकलने में सफल हुए हैं, लेकिन भोला 15 साल से जिंदगी के एक अदद कागज का इंतजार है।

 

15 साल बाद एक आशा की किरन जगी है। भोला की कलेक्ट्रेट के सामने अपने जिंदा होने की तख्ती उठाए हुए बैठे होने का वीडियो सोशल मीडिया में फैलने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका संज्ञान लेकर डीएम को जांच का आदेश दिया है। इसके बाद जिलाधिकारी ने भोला का डीएनए टेस्ट करवाया है। अब उसके भाई का भी डीएनए टेस्ट कराया जाएगा। भोला का आरोप है कि राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने उनके जीवत रहने के बावजूद उन्हें मृत दिखाकर उनके हिस्से की जमीन उनके भाई राज नारायण के नाम कर दी।

 

सदर तहसील के अमोई गांव निवासी 56 साल के भोला सिंह के मुताबिक 2005 में उन्हें पता चला कि खतौनी में वो मृत घोषित कर दिये गए हैं। सरकारी कर्मचारियों द्वारा उनके हिस्से की जमीन उनके भाई राज नारायण के नाम पर कर दी गई है। कागज में मृत होने के बाद उनके भाई राज नारायण ने भी भोला को अपना भाई मानने से इनकार कर दिया। खुद को जिंदा साबित कर खतौनी में अपना नाम दर्ज कराने के लिये भोला ने राजस्व में मुकदमा भी किया और तभी से भोला लगातार खुद को जिंदा साबित करने के लिये कोर्ट और सरकारी दफ्तारों के चक्कर काट रहा है।

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