जीं हां यूपी में योगी सरकार सत्ता में आई तो गाय के नाम पर खूब राजनीति की गई। गौ हत्या रोकने से शुरू हुई बात और भक्ति की सच्चाई उस समय सामने आने लगी। जब कुछ ही महीने के बाद लोगों आवारा पशुओं को घर छोड़ना शुरू कर दिया। किसानों के खेतों में जानवरों की बाढ़ सी आ गई। एक-एक गांव में सैकड़ों आवारा पशु लोगों की फसलों को बर्बाद करने लगे। किसानों ने खुलेआम सरकार का विरोध किया तो सरकार ने यूपी के सभी जिलों में गौशाला निर्माण कराने का फैसला किया। मिर्जापुर जिले में भी नौ अस्थायी आश्रय स्थल बनाये गये। लेकिन ये गौशालाएं दुर्व्यवस्था का शिकार हो गईं। न पशुओं को चारा समय से दिया गया और न ही पानी। जिसके कारण कई पशु बीमार पड़ गए।
गैबीघाट के पास बने अस्थायी गौशाला की बात करें तो यहां 200 पशुओं को रखा गया। चुनार, अहरौरा, कछवां और लालगंज ब्लाक के आवारा पशुओं का ठिकाना इसी को बनाया गया था। स्थानीय लोगों की मानें तो सरकार और अधिकारियों के दावों से इतर इन गौशालाओं में तकरीबन एक दर्जन से अधिक पशुओं की मौत हो गई है। गौशाला के पास रहने वाले अखिलेश और सुरेश बताते हैं कि यहां के गौशाला में एक दर्जन से अधिय गाय व गौवंश ने दम तोड़ दिया है।
इसके अलावा सिंधौरा गांव में एक करोड़ रुपये की लागत से एक स्थायी गौशाला का काम चल रहा है। दावा किया जा रहा है कि यहां एक हजार आवारा पशुओं को रखा गया है। शासन ने इनके रख-रखाव के लिए एक करोड़ रूपये का बजट भी जारी किया जिसमें से 16 लाख 34 हज़ार रुपये पशुओं के चारा पर खर्च भी कर दिया गया। एक दिन की बात करें तो 30 हजार रूपये खर्च किया जा रहा है। लेकिन यहां भी भारी अव्यस्था है। पशुओं की बीमारी की हालत में ईलाज के लिए एक पशु चिकित्सक तक तैनात नहीं किया गया है। बतादें कि जिले में भर की नौ गौशालाओं में दो हजार से अधिक जानवरों को रखा गया है। प्रशासन जहां एक भी गौवंश की बात से इनकार कर रहा है तो स्थानीय कई जानवरों की लगातार हो रही मौत का दावा कर रहे हैं।