जनपद मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर वभनी गांव निवासी गुन्जा सिंह पेशे से कला की अध्यापक हैं। स्कूल में बच्चो को आर्ट पढ़ाने और अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों से बचे समय मे उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी। इसके लिए उन्होंने घरेलू उपयोग की वस्तुओं एवं अपनी पसंदीदा कला को चुना। मन में कुछ कर गुजरने की ख्वाहिश और भीड़ में भी अपनी अलग पहचान बनाने के बुलंद इरादे हों तो इन्सान कुछ भी कर सकता है। इस कहावत को चरितार्थ करते हुए उन्होंने सबसे पहले चावल के दाने पर राष्ट्र गान लिखा। इसके लिए गुन्जा को एक वर्ष तक निरंतर कड़ा अभ्यास करना पड़ा। इसके बाद तो जैसे उनको ऐसी ही उपलब्धियां हासिल करने की लत सी लग गई और एक के बाद एक ऐसे ही मुश्किल कारनामें गुन्जा के नाम के आगे जुड़ते गए। उन्होंने सरसो के दाने को चुना और सरसो के 32 दानों पर गायत्री मंत्र लिख डाला। गुन्जा एक बार फिर चर्चा में हैं। उपलब्धियों की कड़ी में इस बार बारी है तिल के दाने पर पर राष्ट्र गीत वंदे मातरम् लिखने के कारनामे की। गुन्जा कहती हैं कि कला अध्यापिका होने के कारण यह उनका शौक है। समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने की चाहत इन उपलब्धियों के पीछे मुख्य कारक बनी। काव्य पाठ करने की शौकीन गुन्जा ने महिलाओं को संदेश दिया कि खुद को कभी कमजोर ना समझें और हिम्मत कर अपनी पहचान बनाएं।
घर पर लग रही दर्शकों की भीड़
गुन्जा के अद्भूत लेखन का दीदार करने के लिए उनके आवास पर दर्शनार्थियों की भारी भीड़ पहुंच रही है। हर कोई अपने क्षेत्र की नारी की ऐतिहासिक उपलब्धि का साक्षी बनना चाहता है।
Input By : Suresh Singh