10% सवर्ण आरक्षण ने बदली लोकसभा चुनाव की हवा, माहौल बनाने में उतरी भाजपा-कांग्रेस
याचिका में सरकार के फैसले को किया गया है चैलेंज
आपको बता दें कि याचिका में डॉ. आंबेडकर का हवाला देते हुए कहा गया है कि आरक्षण की अवधारणा स्वंय किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में नहीं है, बल्कि उस समुदाय के संदर्भ में है जिससे वह जुड़ा हुआ है। उस समुदाय को शिक्षा और रोजगार के साथ जोड़ना इसका मूल मकसद था। याचिका में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को केंद्रित करते हुए सरकार के फैसले को चैलेंज किया गया है। आरक्षण की अवधारणा समानता के लिए अपवाद को छोड़ दें तो यह केवल तभी उचित है जब इसका इस्तेमाल भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करने वाले समुदायों ओबीसी, एससी,एसटी के उत्थान के उद्देश्य से लाया जाता हो। आगे यह भी कहा गया है कि अकेले आर्थिक मापदंड आरक्षण देने का आधार नहीं हो सकता है क्योंकि आरक्षण गरीबी उन्मूलन योजना नहीं है। इसमें आगे यह भी कहा गया है कि एम. नागराज केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण में 50% की सीमा भी मूल संरचना का हिस्सा है। इसके अलावा यह भी संदर्भ दिया गया है कि आई.आर कोएलो केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि संविधान की धारा 15 के साथ-साथ धारा 14,19 और 21 ‘संविधान की मूल धारा’ है जिसे कभी भी निरस्त नहीं किया जा सकता है।
सवर्णों को मिला 10 फीसदी आरक्षण, अंबेडकर की जन्मस्थली ने भी दिया ये योगदान
सामान्य वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े गरीब परिवारों को शिक्षा और नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया है। इस बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी मंजूरी मिल चुकी है। जिसके साथ ही यह कानून बन चुका है। संसद ने 124 संविधान संशोधन करते हुए 10 फीसदी आरक्षण की यह व्यवस्था की है। सरकार के इस फैसले को विरोधी दल एक राजनीतिक ऐजेंडा मान रहे हैं और चुनाव से पहले बिल की टाइमिंग पर सवाल उठाए थे। आपको बता दें कि सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण का यह प्रावधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गों को मिलने वाले 50 फीसदी आरक्षण से अलग है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया कि संविधान (124वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है। इसके जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है। साथ ही एक प्रावधान यह भी जोड़ा गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके के लोगों की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है। यह विशेष प्रावधान निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो, में उनके दाखिले से जुड़ा है। हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा।