नई दिल्ली। संसद पर हुए आतंकी हमले को आज 14 साल हो गए। 13 दिसंबर 2001 को लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के पांच हथियारबंद आतंकियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले में आठ जवान शहीद हुए थे, वहीं पांचों आतंकी भी मारे गए थे। इस हमले की साजिश रचने वाले अफजल गुरु को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। उसे नौ फरवरी 2013 को तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी।
13 दिसंबर 2001 को संसद की कार्यवाही स्थगित होने के थोड़ी देर बाद साढ़े ग्यारह बजे के करीब पांच आतंकियों ने हमला बोल दिया। हमले के वक्त 200 लोग पार्लियामेंट कैंपस में मौजूद थे। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के पांच जवान समेत एक सीआरपीएफ महिला कांस्टेबल और संसद के दो गार्ड शहीद हुए थे। हमले में कई जवान घायल भी हुए थे। इस दौरान नानक चंद, रामपाल, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र सिंह, घनश्याम, सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल कमलेश कुमारी और संसद सुरक्षा में तैनात जगदीश प्रसाद यादव व मातबर सिंह नेगी शहीद हुए थे।
इस हमले में एक कर्मचारी देशराज भी शहीद हुए। शुक्रवार को संसद के दोनों सदनों ने हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस संबंध में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कहाकि गहरी पीड़ा के साथ हम 13 दिसंबर 2001 की घटना को याद करते हैं। यह सभा उन सभी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देती है जिन्होंने संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।
हमले की 14वीं बरसी पर पीएम नरेन्द्र मोदी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने संसद जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। वहीं भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने हमले में मारे गए लोगों के परिजनों से मुलाकात की।