राज्य के शिक्षा विभाग ने जांच के आदेश दिए। पुलिस ने मामला दर्ज किया मगर अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं।
श्रीनगर. आतंकी बुरहानी वानी की मौत के बाद से घाटी में तीन माह से फैली अशांति की वजह से राज्य की कई इमारतें प्रदर्शनों में जल गई हैं। इनमें स्कूलों की संख्या अधिक है। अब तक 19 स्कूल जल कर राख हो चुके हैं। ताजा मामले में सोमवार देर रात को उत्तरी कश्मीर के बंदीपोल जिले में एक और स्कूल जला दिया गया है।
स्कूल कैसे जला? क्या आतंकियों ने हमला कर इसे जलाया? या फिर उग्र प्रदर्शनकारियों ने इसे आग के हवाले किया? इस बाबत अभी तक कुछ भी पता नहीं चल पाया है। हालांकि पुलिस ने इस समेत तमाम स्कूलों के जलने के मामलों में एफआईआर दर्ज कर ली है। हैरानी की बात यह है कि अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। बहरहाल, सभी सरकारी स्कूलों को निशाना बनाया जा रहा है। राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, तीन हायर सेकेंडरी स्कूल, आठ हाई स्कूल, सात मिडल एंड प्राइमरी स्कूल और एक जवाहर नवोदय विद्यालय स्कूल शामिल हैं। बता दें कि स्कूलों को निशाना बनाने वाली घटनाएं पहली बार सामने नहीं आ रही हैं। साल 1968 से स्कूलों को कभी बम धमाकों से तो कभी अलगाववाद के नाम पर निशाना बनाया जाता रहा है।
5000 बच्चे प्रभावित
इन घटनाओं से राज्य के करीब पांच हजार बच्चे प्रभावित हुए हैं। यही नहीं, बढ़ते तनाव के कारण तीन माह से स्कूल बंद पड़े हैं। इनकी कक्षाएं नहीं लग पा रही हैं। पढ़ाई रुक गई है। प्राइमरी कक्षा की आंतरिक परीक्षा बार-बार टाली जा रही है। राज्य के शिक्षा निदेशक अजाद अहमद ने बताया कि विभाग ने जिला अधिकारियों से इन घटनाओं को लेकर रिपोर्ट मांगी है। हमने तमाम स्कूलों की सुरक्षा बढ़ाने का फैसला किया है। राज्य शिक्षा विभाग के एक शिक्षा अधिकारी कहते हैं कि स्कूलों में ज्यादातर गरीब तबके के बच्चे पढ़ते हैं। स्कूलों की मरम्मत में सालों लगेंगे।
सैकड़ों छात्र जेल और अस्पतालों में
प्राइमरी कक्षाओं की परीक्षा तो टाली जा रही है लेकिन सरकार ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा की तिथि का ऐलान कर दिया है। छात्र इसका विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि कक्षा न लगने से पढ़ाई नहीं हो रही है। पाठ्यक्रम पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में परीक्षा कैसे देंगे? इतना ही नहीं, 10वीं और 12वीं के सैकडों ऐसे छात्र हैं जो उग्र प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं। ये सुरक्षाकर्मियों का कार्रवाई में घायल हो रहे हैं और कुछ पकड़े गए हैं। इनमें से अधिकतर अस्पतालों में हैं तो कुछ पुलिस थानों में बंद हैं। इन्हें परीक्षा देने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।