पुलिस हिरासत में हैं दोनों आरोपी
कोर्ट ने दोनों आरोपियों को छह दिन पहले हत्या, हत्या की कोशिश, दंगा फैलाना, भीड़ को भड़काने का दोषी पाया था। 14 नवंबर को दोषी करार दिए जाने के बाद से दोनों आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। आज 34 साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट दोनों दोषियों की सजा का ऐलान कर सकती है।
कोर्ट ने दोनों आरोपियों को छह दिन पहले हत्या, हत्या की कोशिश, दंगा फैलाना, भीड़ को भड़काने का दोषी पाया था। 14 नवंबर को दोषी करार दिए जाने के बाद से दोनों आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। आज 34 साल बाद पटियाला हाउस कोर्ट दोनों दोषियों की सजा का ऐलान कर सकती है।
दोषी करार देने का पहला मामला
आपको बता दें कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 1984 दंगा मामले में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी में कुल तीन सदस्य हैं। एसआईटी का गठन अनुराग कुमार की अध्यक्षता में हुई थी। इसके अन्य दो सदस्यों में सेवानिवृत जिला जज राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के डीसीपी कुमार ज्ञानेश शामिल हैं। एसआईटी की मियाद जनवरी 2019 तक की है। एसआईटी ने कई मुकदमों की दोबारा जांच की है। 1984 के सिख विरोधी दंगों में ये पहला मामला है जिसकी एसआईटी ने जांच की और कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया। दोनों पर एसआईटी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली के महिपालपुर में एक नवंबर 1984 को दो लोगों की हत्या की थी और तीन लोगों को गंभीर रूप से जख्मी हालत में छोड़ दिया था। कई लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया था। एसआईटी ने तीन गवाह कोर्ट के सामने रखे थे। गबाह के बयानों के आधार जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया।
आपको बता दें कि 2014 में मोदी सरकार आने के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 1984 दंगा मामले में एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी में कुल तीन सदस्य हैं। एसआईटी का गठन अनुराग कुमार की अध्यक्षता में हुई थी। इसके अन्य दो सदस्यों में सेवानिवृत जिला जज राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के डीसीपी कुमार ज्ञानेश शामिल हैं। एसआईटी की मियाद जनवरी 2019 तक की है। एसआईटी ने कई मुकदमों की दोबारा जांच की है। 1984 के सिख विरोधी दंगों में ये पहला मामला है जिसकी एसआईटी ने जांच की और कोर्ट ने आरोपियों को दोषी करार दिया। दोनों पर एसआईटी ने आरोप लगाया था कि उन्होंने दिल्ली के महिपालपुर में एक नवंबर 1984 को दो लोगों की हत्या की थी और तीन लोगों को गंभीर रूप से जख्मी हालत में छोड़ दिया था। कई लोगों के घरों को आग के हवाले कर दिया था। एसआईटी ने तीन गवाह कोर्ट के सामने रखे थे। गबाह के बयानों के आधार जिसके बाद कोर्ट ने दोनों को दोषी करार दिया।