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1984 सिख दंगा: उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सज्जन कुमार

locationनई दिल्लीPublished: Dec 22, 2018 04:52:46 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

1984 के सिख विरोधी दंगे में उम्रकैद की सजा पाए सज्जन कुमार ने अचानक बड़ा कदम उठा लिया है।

Sajjan Kumar

1984 सिख दंगा : उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सज्जन कुमार, 31 दिसंबर तक करना है सरेंडर

नई दिल्ली। 1984 के सिख विरोधी दंगे के दोषी पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने इस संबंध में एक याचिका दाखिल की है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 17 दिसंबर को सज्जन कुमार को सिख विरोधी दंगों में दंगा भड़काने के आरोप में उम्रकैद की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

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हाई कोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला

दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार और अन्य पांच को 1984 के दंगा मामले में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने सज्जन कुमार से 31 दिसम्बर तक आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है। जिसके बाद सज्जन ने खुद के निर्दोष होने का दावा करते हुए अदालत से आत्मसमर्पण करने के लिए 30 दिनों का वक्त देने का आग्रह किया, जिससे वह अपने कुछ संपत्ति से जुड़े मामले निपटा सकें और अपने करीबी संबंधियों से मिल सकें। लेकिन कोर्ट आत्मसमर्पण की मियाद बढ़ाने की याचिका को खारिज कर दी।

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किन धाराओं में मिली उम्रकैद की सजा

जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस विनोद गोयल की पीठ ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को बदल दिया, जिसने कांग्रेस नेता को बरी कर दिया था। जिसके बाद हाईकोर्ट ने हत्या, आपराधिक साजिश रचने सहित दंगा भड़काने, आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा घरों को नष्ट करने की साजिश रचने और किसी वर्ग के धार्मिक स्थल को अपवित्र करने की साजिश रचने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कांग्रेस नेता को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई।

‘1947 के बाद दूसरा बड़ी बड़ी मानव त्रासदी’
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि 1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान देश ने भयावह नरसंहार देखा, जब सिख, मुस्लिम और हिंदुओं सहित कई लाख नागरिकों की हत्या कर दी गई थी। 37 साल बाद देश ने फिर से एक बड़ी मानव त्रासदी को देखा। 31 अक्टूबर 1984 की सुबह दो सिख अंगरक्षकों द्वारा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक सांप्रदायिक उन्माद भड़क उठा।

‘अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण मिला’

पीठ ने 203 पेज के अपने आदेश को पढ़ते हुए कहा कि उस साल चार दिन, एक नवंबर से लेकर चार नवंबर तक पूरी दिल्ली में 2,733 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनके घरों को नष्ट कर दिया गया। देश के बाकी हिस्सों में भी हजारों सिख मारे गए। कोर्ट ने कहा कि इस भयावह त्रासदी के अपराधियों के बड़े समूह को राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिला और उदासीन कानून प्रवर्तन एंजेसियों से भी उन्हें मदद मिली।

5 सिखों की हुई थी हत्या

सज्जन कुमार और अन्य पर पांच सिखों -केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह (एक ही परिवार के सदस्य) की हत्या में शामिल होने का आरोप है। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र राज नगर में भीड़ ने इन पांचों की हत्या कर दी थी।

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