सुप्रीम कोर्ट ने केस को दिल्ली हाईकोर्ट को किया था ट्रांसफर इस मामले में आरोप-पत्र मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, गाजियाबाद के समक्ष 1996 में दाखिल किया गया था । जिसके बाद न्यायमूर्ति एस.मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल ने 2005 के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुनवाई की थी। गौरतलब है कि निचली अदालत ने जवानों को हत्या और दूसरे अपराधों के आरोप में बरी कर दिया था। लेकिन पीड़ित पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सितंबर 2002 में दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। जिसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इन 16 आरोपियों को आपराधिक साजिश, अपहरण, हत्या और सबूतों को गायब करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। एक याचिका में निचली अदालत के इस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसपर पिछले महीने दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
क्या है मामला ? हाशिमपुरा के पीड़ितों को पीएसी की 41 बटालियन की ओर से हाशिमपुरा के पड़ोस से तलाशी अभियान के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को पकड़ लिया गया था और पीड़ितों को कतार में खड़ा कर गोली मारकर निर्मम हत्या की गई थी। 42 लोगों को गोली मारी गई थी। लेकिन इसमें से चार लोग बच गए थे।