गुजरात का छह सौ साल पुराना ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद देश का ऐसा पहला शहर बन गया है। देश के तीन और शहर ऐसे हैं जो वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बन सकते हैं।
नई दिल्ली। गुजरात का छह सौ साल पुराना ऐतिहासिक शहर अहमदाबाद देश का ऐसा पहला शहर बन गया है, जिसे वर्ल्ड हेरिटेज सिटी का दर्जा प्राप्त हुआ है। पिछले सात वर्षों से अहमदाबाद को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनाने की कोशिश की जा रही थी। सन 2010 में तत्कालीन सीएम मोदी ने इस की पहल की थी। अहमदाबाद के अलावा चीन के कलांगसो को भी वर्ल्ड हेरिटेज सिटी में शामिल किया गया है। अभी देश के तीन और शहर ऐसे हैं जो वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बन सकते हैं।
इसलिए वर्ल्ड हेरिटेज शहर बना अहमदाबाद
अहमदाबाद के वर्ल्ड हेरिटेज सिटी बनने की वजह उसकी खूबसूरती है। इसे सुल्तान अहमद शाह ने 15 वीं सदी में साबरमती के किनारे बसाया था। वास्तुकला के शानदार नमूने, छोटे किले, शहर की दीवारें, दरवाजे, मस्जिद, मकबरों के अलावा शहर में हिंदू और जैन मंदिर भी दर्शनीय हैं।
ये तीन शहर हैं दावेदार
दिल्ली: करोड़ की आबादी वाले इस शहर में कुतुबमीनार, लाल-किला, हुमायुं का मकबरा जैसी ऐतिहासिक इमारतें शामिल हैं।
मुंबई: अरब सागर के किनारे बसी मुबंई भी वर्ल्ड हेरिटेज सिटी सूची में शामिल है। मुंबई में कन्हेरी गुफा, हाजी अली दरगाह और हुतात्म चौक जैसी प्रमुख जगहें शामिल हैं।
मैसूर: दक्षिण भारत के इस शहर की खूबसूरती ही अलग है। वाडयार वंश के दौर में मैसूर राजधानी थी। यहां मैसूर पैलेस, ललित महल पैलेस, फिलोमेना चर्च जैसी जगहें शामिल हैं।
ऐसे बनता है कोई वर्ल्ड हेरिटेज सिटी
1- उस शहर का कोई ऐतिहासिक इतिहास रहा हो और अभी वह एक शहर के रूप में बसा हुआ हो।
2- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ वर्ल्ड हेरिटेज सिटी (ओडब्ल्यूएचसी) के नियमों के मुताबिक शहर को मानकों को पूरा करना होता है।
1993 में हुई थी स्थापना
ओडब्ल्यूएचसी की स्थापना 1993 में हुई थी। 1997 में ओडबल्युएचसी यूनेस्को के साथ जुड़ गई। ओडबल्युएचसी का हेडक्वॉर्टर कनाडा में है। ओडबल्युएचसी का मुख्य मकसद एक शहर की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देना होता है। शहर को बाकी देशों से तालमेल बिठाना होता है। उस शहर की ऐतिहासिक इमारतों को बचाकर रखना होता है।
मेयर करता है प्रतिनिधित्व
इस संस्था में शामिल शहरों को मेयर प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा ओडबल्युएचसी का एक डायरेक्टर होता है। जिसकी अवधि 2 साल की होती है। कोई भी मेयर 2 बार से ज्यादा डायरेक्टर नहीं बन सकता। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा प्रेसीडेंट का चयन किया जाता है। संस्था पांच भाषाओं अंग्रेजी, फ्रांसीसी, पुर्तगाली, स्पेनिश व अरबी में काम करती है।