‘कोरोना-कोरोना’ कहकर चिढ़ाते हैं लोग एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में सोमीचोन (22) बताती हैं, ‘कोलकाता के प्राइवेट हॉस्पिटल में हालात खराब हैं। मैनेजमेंट ध्यान नहीं देता। नस्लीय कमेंट अब आम बात हो गई है। हम जब भी घर से निकलते हैं, तो हम पर फब्तियां कसी जाती हैं। लोग हमे देखते ही ‘कोरोना-कोरोना’ कहकर चिढ़ाते हैं। मुड़कर देखते ही भाग जाते हैं। कई बार इसकी शिकायत की गई, मगर किसी ने कुछ एक्शन नहीं लिया। हर दिन ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही थीं। घर से निकलने में डर लग रहा था। इसलिए जॉब छोड़ दिया।’
डॉक्टर हुई कोरोना पॉजिटिव सोमीचोन आगे बताती हैं, ‘जब ड्यूटी करते समय मुझे कोरोना के लक्षण का अहसास हुआ, तो मैंने हॉस्पिटल मैनेजमेंट को इसकी जानकारी दी, लेकिन हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने इसे सामान्य फ्लू करार दिया और मुझे कुछ एंटीबायोटिक्स दे दी गईं। उन्होंने मेरी टेस्टिंग करना भी जरूरी नहीं समझा।’ घर लौटने के बाद सोमीचोन अभी इंफाल के जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में एडमिट हैं। 15 मई को कोलकाता छोड़ने से पहले हुए स्वैब टेस्ट में उनके कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई थी।
मैनेजमेंट पर लगाए गंभीर आरोप रिपोर्ट के मुताबिक सोमीचोन अभी रिकवर कर रही हैं। वह आगे बताती हैं, ‘हॉस्पिटल में नर्सों की सेफ्टी के लिए कुछ नहीं होता था। मेरी आईसीयू में ड्यूटी लगती थी। मैनेजमेंट मुझे सिर्फ गल्पस देता था, जो कि सही क्वालिटी का भी नहीं था। ऐसे महामारी के समय में सिर्फ ग्ल्व्स से आप खुद को सेफ नहीं रख सकते। आपको मास्क और PPE किट भी चाहिए। मुझे कोई शक नहीं है कि मैं इसी वजह से वायरस से संक्रमित हुई।’
नौकरी छोड़ने से नहीं है खुश इन्हीं में से एक नर्स क्रिस्टेला कहती हैं, ‘नौकरी छोड़कर हम ख़ुश नहीं हैं। हमें वहां होना चाहिए था, लेकिन मांग के बाद भी हमारी परेशानियों को दूर नहीं किया गया। लोग कोरोना कह कर हमें चिढ़ाते थे। इससे परेशान होकर हमने नौकरी छोड़ने का फ़ैसला किया। हम इम्फ़ाल वापस आ गए हैं।’