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बड़ी कामयाबी: डॉक्टर्स ने रचा इतिहास, भारत में पहली बार खोपड़ी का सफल प्रत्यारोपण

चार साल की बच्ची का यह ऑपरेशन देश का पहला स्कल ट्रांसप्लांट बताया जा रहा है।

नई दिल्लीOct 10, 2018 / 11:10 am

Saif Ur Rehman

Skull

बड़ी कामयाबी: डॉक्टर्स ने रचा इतिहास, भारत में पहली बार खोपड़ी का सफल प्रत्यारोपण

नई दिल्ली। भारत हर क्षेत्र में अपनी काबिलयत का डंका बजा रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में भी भारत पीछे नहीं है। अब भारतीय डॉक्टर्स ने एक ऐसा करिश्मा कर दिखाया है जिससे उसकी धाक और जमेगी। प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हिंदुस्तान की छवि और सुधरेगी। क्योंकि पुणे के डॉक्टर्स ने एक चार साल की बच्ची की खोपड़ी का सफल प्रत्यारोपण किया है। चिकित्सकों ने क्षतिग्रस्त हुई खोपड़ी के हिस्सों को 60 प्रतिशत बदल दिया। प्रत्यारोपण थ्री- डाइमेंशनल पॉलीथाएलीन बोन्स से हुआ। खोपड़ी की हड्डियों को अमरीका स्थित एक फर्म ने सही माप और आकार देकर बनाया। डॉक्टर्स ने दावा किया है कि यह भारत में सफलतापूर्वक पहली खोपड़ी प्रत्यारोपण यानी स्कल ट्रांसप्लांट सर्जरी है।
सड़क दुर्घटना में बच्ची को आई थीं गंभीर चोटें
खबरों के अनुसार, सतारा जिले के पास शिरवाल के नजदीक 31 मई 2017 को चार वर्षीय बच्ची को सड़क हादसे के दौरान सिर में गंभीर चोटें आईं। अस्पताल में मासूम का उपचार हुआ। दो सर्जरी के बाद उसको अस्पताल से छुट्टी मिल गई। लेकिन वह मायूस रहने लगी। डॉक्टर्स ने इस वर्ष लड़की को पुन: चिकित्सालय में भर्ती किया और इस 18 मई को सफलतापूर्वक खोपड़ी की प्रत्यारोपण सर्जरी हुई। बच्ची की मां जो एक ग्रहणी हैं उन्होंने बताया कि वह स्कूल जा रही है। अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती करती है। वह पहले जैसी ही अब काफी खुश है। उसके पिता एक स्कूल बस चालक है। परिवार कोथरुड में रहता है।
क्यों बदली गई खोपड़ी?
शुरूआत में बच्ची का इलाज करने वाले डॉक्टर जितेंद्र ओसवाल ने बताया कि “दुर्घटना का असर काफी गंभीर था। अस्पताल में उसे बेहोशी की हालत में हमारे यहां लाया गया था। लड़की के सिर से काफी रक्त बह रहा था। उसे फौरन वेंटिलेटर पर रखा गया। कंप्यूटर असिस्टेड टोमोग्राफी (सीटी स्कैन) की गई। जिसमें खोपड़ी की पिछली हड्डी टूटी हुईं थी और काफी सूजन भी दिख रही थी। जिससे मस्तिष्क पर दबाव बन रहा था। दिमाग में सूजन (Edema) हो गई थी। ” बता दें कि मेडिकल भाषा में सूजन को एडिमा (Edema) के नाम से जाना जाता है। सूजन आम तौर पर किसी जगह पर द्रव एकत्रित होने के परिणाम से होती है। सूजन शरीर के अंदर भी हो सकती, और बाहर त्वचा को भी प्रभावित कर सकती है। डॉ. ओसवाल ने आगे बताया कि जब बच्ची की क्लिनिकल स्थिति के 48 घंटे बाद भी सुधार नहीं हुआ तो हमने फिर से सीटी स्कैन किया। जिसमें पाया कि उसके सिर में घातक सूजन है ( malignant cerebral edema)। उन्होंने बताया कि यह असामान्य अवस्था थी। चोट का असर इतना गंभीर था कि पूरे मस्तिष्क के केंद्र को दूर कर दिया। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में मस्तिष्क की मध्य रेखा के रूप में देखा जाता है, इसे मिडलाइन शिफ्ट ऑफ द ब्रेन (midline shift of the brain) कहते हैं।
पॉलीथाएलीन बोन्स का अविष्कार रूस के वैज्ञानिकों ने किया है IMAGE CREDIT: कैसे किया ऑपरेशन?

वेंटिलेशन और मेडिकल थेरेपी के बावजूद मस्तिष्क में सूजन (एडीमा) कम नहीं हो रही थी। ऑपरेशन में न्यूरोसर्जन ने क्षतिग्रस्त खोपड़ी के सामने वाले हिस्से के साथ ही कुछ हड्डियों को भी हटाया, खोपड़ी के हिस्सों के हटाने के बाद कुछ जगह बनी जिससे मस्तिष्क दबाव मुक्त हो गया। न्यूरोसर्जन विशाल रोकडे ने जानकारी देते हुए बताया कि आमतौर पर, जब क्रैनियल हड्डी हटा दी जाती है। तो उसे फ्रिज में रखा जाता है। उसके बाद उसे सूजन कम होने के बाद पुन: प्रत्यारोपित किया जाता है। बच्ची की उम्र और उसकी क्रैनियल बोन की स्थिति को देखते हुए इसे त्यागना पड़ा। बता दें कि मस्तिष्क के खोल की कोई हड्डी यानी की क्रैनियल बोन ( cranial bone) नाजुक होती है। घंटों चले मुश्किल ऑपरेशन के दौरान खास तौर पर बनवाए गए स्कल की हड्डी के 3डी मॉडल को सफलतापूर्वक जोड़ा गया। खोपड़ी-हट्टी हटाने की सर्जरी के बाद बच्ची ने इलाज के लिए अच्छे संकेत दिए और धीरे-धीरे स्वस्थ्य होती गई। अस्पताल से उसे दो महीने बाद छुट्टी मिल गई।

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