एक मई से 3740 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चली लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को उनके गन्तव्य स्थानों तक पहुंचाने के लिए देशभर में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक मई से अब तक तकरीबन 3740 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चली हैं, जिनमें 20 लाख यात्रियों ने सफर किया है। इस दौरान चालीस प्रतिशत ट्रेनें लेट रहीं, जबिक इन ट्रेनों का औसतन डिले आठ घंटा रहा। वहीं, 421 ट्रेनें 10 घंटे या उसे ज्यादा डिले रहीं। वहीं, 10 प्रतिशत यानी 373 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें 10 से 24 घंटे लेट रही। जबकि, 78 श्रमिक ट्रेनें ( Shramik Trains ) एक दिन या फिर उससे ज्यादा डिले रही। वहीं, 43 ट्रेनें ऐसी हैं जो 30 घंटे या उससे ज्यादा या फिर दो या दो से ज्यादा अपने निर्धारित समय से देरी से चली।
बिहार, यूपी की ज्यादा ट्रेनें लेट रिपोर्ट में कहा गया है कि जो ट्रेनें देरी से चलीं उनमें ज्यादातर बिहार ( Bihar ), उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh ) और पूर्वी भारत के लिए निर्धारित थीं। 78 ट्रेनें जो सबसे ज्यादा लेट हुईं, उनमें महाराष्ट्र ( 36 ट्रेन ) और गुजरात (17 ट्रेन ) से चलने वाली ट्रेनें थीं।
डबल संचालन से ट्रेनें हो रहीं लेट रेलवे बोर्ट के ट्रैफिक सदस्य पी एस मिश्रा ( P S Mishra ) का कहना है कि ये बात सच है कि ट्रेनें लेट हुई हैं। लेकिन, इस पीछे भी एक वजह है। उन्होंने कहा कि ज्यादा ट्रेनें बिहार और यूपी के लिए चली हैं। वो भी गुजरात ( Gujarat ), महाराष्ट्र ( Maharashtra ), केरल ( Kerala ) और कर्नाटक ( karnataka ) से। यहां से चलने वाली सभी ट्रेनें महाराष्ट्र के भुसावल ( Bhusawal ) और यूपी के माणिकपुर ( Manikpur ) से गुजरती हैं। इन दिनों इन रूटों पर एक साथ अचानक ट्रेनों की संख्या ज्यादा हो गई है, जो ट्रेनें यहां 24 घंटे में गुजरती थी वह अभी 10 घंटे हो गई है। जिसके कारण ट्रेनें लेट रही हैं। उन्होंने कहा कि आमतौर ऐसा नहीं होता है, क्योंकि ट्रेनों का संचालन 24 घंटे में फैला होता है और चार्ट निर्धारित हैं। लेकिन, अचानक ट्रैफिक बढ़ने से संचालन पर प्रभाव पड़ना तय है। क्योंकि, ट्रेनों संचालन के लिए कई तरह के प्रोटकॉल फॉलो करने होते हैं।
जरूरत के हिसाब से बदल सकती है रूट शुक्रवार को आधिकारिक में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ( V K Yadav ) ने कहा कि हमने राज्यों के साथ-साथ हमारे अधिकारियों को भी इन ट्रेनों को चलाने में काफी सहूलियत दी है। इसलिए सामान्य ट्रेनों के विपरीत इन्हें बढ़ाया जा सकता है या इन्हें रोका भी जा सकता है। उन्होंने कहा कि यात्रियों की आवश्यकता के अनुसार ट्रेनों के मार्ग बदले जा सकते हैं या रोके जा सकते हैं। यहां आपको बता दें कि प्रवासियों को अपने गृह राज्य में ले जाने के लिए अलग-अलग राज्यों से आवश्यकतानुसार ट्रेनें चलाई जा रही हैं। वहीं, ट्रेन के अंदर कई यात्रियों के मरने की खबरें भी सामने आ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 10 दिनों में 80 से ज्यादा यात्रियों की मौत हो चुकी है।