गुजरात: आर्थिक तंगी से परेशान एक ही परिवार के पांच लोगों ने की आत्महत्या, इलाके में मची सनसनी
अधिकांश विद्यार्थियों ने फांसी लगाकर की आत्महत्या
बता दें कि मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है, एनएचआरसी के एक बयान के मुताबिक 49 विद्यार्थियों में से केवल सात को छोड़कर सभी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। सबसे विचित्र बात यह सामने आई है कि उनके शवों को सबसे पहले या तो सहपाठियों या फिर स्कूल स्टाफ ने देखा था। आयोग ने कहा है कि इस मामले को गंभीरता से लेना पड़ेगा। यदि नहीं लिया गया तो फिर जेएनवी में आत्महत्या करने वाले विद्यार्थियों की समस्या बढ़ सकती है। बता दें कि आयोग ने एससी-एसटी समुदायों के बच्चों की आत्महत्या पर चिंता जाहिर की है। आयोग ने जानकारी मांगी है कि क्या स्कूल परिसर में प्रशिक्षित काउंसलर थे जिनके सामने बच्चे खुलकर अपनी बात रख सकते हैं। साथ ही यह भी पूछा है कि क्या समर्पित कर्मचारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए नियोजित किया जाता है कि बच्चों को कमरों में अकेला नहीं छोड़ा जाए और क्या टेलीफोन के जरिए परामर्श और आत्महत्या हॉटलाइन सेवाओं के माध्यम से आपातकालीन सहायता उनके लिए उपलब्ध थी। आपको बता दें कि जेएनवी की शुरूआत 1985-86 में की गई थी। मौजूदा समय में 635 जेएनवी में 2.8 लाख छात्र पढ़ते हैं।