scriptये हैं केरल के ‘दशरथ मांझी’, 1000 से ज्यादा सुरंग खोदकर गांववालों को पहुंचाया पानी | 67 year old man Dig 1000 tunnel in last 50 year in Kerala | Patrika News

ये हैं केरल के ‘दशरथ मांझी’, 1000 से ज्यादा सुरंग खोदकर गांववालों को पहुंचाया पानी

locationनई दिल्लीPublished: Apr 23, 2020 05:49:26 pm

Submitted by:

Kapil Tiwari

Highlight
– 67 साल के कुंजम्बु ने 14 साल की उम्र में बनाना शुरू कर दिया था सुरंग
– कासरगोड स्थित कुंदमजुझी गांव के रहने वाले हैं कुंजम्बु

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नई दिल्ली। बिहार के दशरथ मांझी को पूरा देश जानता है, जिन्होंने पहाड़ को काटकर रास्ता बना डाला था। अब हम आपको केरल के एक ‘दशरथ मांझी’ से मिलवाते हैं। वैसे तो इनका नाम कुंजम्बु है, जो केरल के कासरगोड स्थित कुंदमजुझी गांव के रहने वाले हैं। कुंजम्बु ने 1000 से ज्यादा सुरंग खोदकर गांव वालों को पानी पहुंचाने का काम किया है।

14 साल की उम्र से कर दी थी सुरंग खोदने की शुरूआत

67 साल के कुंजम्बु ने गांव वालों की ऐसी मदद की है कि अब वहां के लोगों को बोरवेल की जरूरत नहीं पड़ती है। बता दें कि कुंडमजुझी के लोगों की पानी आपूर्ति के लिए कुंजम्बु ने करीब 50 सालों तक सुरंग कुआं खोदा था, जिसकी शुरुआत उन्होंने 14 वर्ष की उम्र से कर दी थी। उन्होंने बताया कि अब तक 1000 से अधिक ऐसे कुएं जैसी गुफाएं खोदकर उन्होंने पानी उपलब्ध कराया है।

काफी मेहनत और रिस्क भरा होता है यह काम

कुंजम्बु ने इस प्रक्रिया के बारे में बताते हुए कहा, ‘यह काम बहुत ताकत और दृढ़ निश्चय के साथ ही किया जा सकता है। मैं एक कुदाल और मोमबत्ती लेकर इन गुफाओं में यह निश्चय करके जाया करता था कि एक बार में ही पूरी खुदाई के दूंगा।’ उन्होंने बताया कि ऐसी खुदाई एक समय के बाद काफी रिस्की हो जाती है। 300 मीटर के बाद ऑक्सिजन लेवल भी बहुत घट जाता है। ऐसी दम घुटने की स्थिति से बचने के लिए वो अपने पास माचिस और मोमबत्ती रखते थे। दरअसल, मोमबत्ती जलाकर वो ऑक्सीजन लेवल का पता लगाते थे।

.. अब तो बोरवेल बन गया है विकल्प

कुंजम्बु का कहना है कि जब उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी तब सुरंग का पानी ही कृषि और अन्य कामों में इस्तेमाल होता था। उस वक्त सुरंग संस्कृति का हिस्सा था। हालांकि, अब इसकी जगह बोरवेल पम्पों ने ले ली है। कुंजम्बु का मानना है कि बोरिंग करके जो पानी हम ले रहे हैं, उससे भूमिगत जल स्तर को खतरा है, जबकि सुरंग का पानी प्राकृतिक जल का स्रोत है।

सबसे पुराना वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम

आपको बता दें कि, उत्तर केरल और कर्नाटक के क्षेत्रों में अब तक यह सुरंग गुफा कुआं मौजूद हैं। ये सबसे पुराने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के रूप में जाने जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत ईरान से हुई थी। हालांकि, अब इस तरह सुरंग खोदने वाले कारीगर बस कुछ ही बच हैं। वजह साफ है कि इस प्रक्रिया में जान का रिस्क भी है और बहुत सारी मेहनत भी लगती है।

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