पिता ने कॉलेज का आवेदन फाड़ा
चेल्लताई की कहानी प्रेरित करने वाली है। देश में आज लड़कियों की शिक्षा से दूर 1960 में चेल्लताई को कमजोर सामाजिक व्यवस्था के चलते पढ़ने और घर से निकलने का मौका नहीं मिला, लेकिन उसी वक्त उन्होंने मन बनाया कि अपना सपना पूरा जरूर करेंगी। पांच दशक पहले उनके पिता ने क्वीन मेरीस कॉलेज के उनके नामांकन के आवेदन को फाड़ दिया था। वह अपने गृहक्षेत्र सात्तूर में एसएसएलसी क्लियर करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए चेन्नई जाना चाहती थी। उनके पिता ने यह बात नहीं मानी और उन्हें आगे की पढ़ाई का मौका नहीं मिल सका।
पति ने भी नहीं दी डिग्री हासिल करने की अनुमति
वह कहती हैं कि मेरे परिवार में लड़कियों को उच्च शिक्षा पाने के लिए नहीं भेजा जाता था। चेल्लताई का सपना अधूरा रह गया और गृहनगर से कुछ किलोमीटर दूर, कदंबूर में उनकी शादी हो गई। उनके पति ने डिग्री हासिल करने के लिए अनुमति नहीं दी। कई साल के बाद, उनके पति ने गोपालपुरम में तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम में पिता की मृत्यु के बाद चेल्लताई को क्लर्क के रूप में काम करने की अनुमति मिल गई। लेकिन उन्हें उच्च शिक्षा हासिल करने का मौका नहीं मिला।
सेवानिवृत्ति तक बाकी रही उम्मीद
वे 2009 में सेवानिवृत्त हुई। चेल्लताई कहती हैं, विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ने के लिए एक कोर्स में शामिल होने की मेरी उम्मीद सेवानिवृत्ति तक बाकी रही। मैंने अपनी शिक्षा के लिए सेवानिवृत्ति लाभ के रूप में प्राप्त रकम का उपयोग किया। 2013 में पति की मृत्यु के बाद से उन्होंने ही परिवार को संभाला और अपनी बेटी को पढ़ाया।