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सेना आपके लिए जान कुर्बान कर देती है, जानिए क्यों मनाया जाता है सशस्त्र सेना झंडा दिवस

Published: Dec 07, 2017 01:36:10 pm

Submitted by:

राहुल

7 दिसंबर 1949 से एक परंपरा निभाई जा रही है, जो आज भी जारी है और हर शख्स के लिए उनकी आखिरी सांसों तक जारी रहेगी।

indian armed forces
नई दिल्ली। एक देश के लिए सेना का अपना अलग महत्व होता है। वैसे तो हर देश अपनी सेनाओं का काफी सम्मान और गुणगान करते हैं। ऐसे भी कई देश हैं जहां की जनता अपनी सेना के रवैये से खासी परेशान और निराश हो जाती है। लेकिन भारत के सशस्त्र बलों का कोई जवाब ही नहीं है। देश की सेनाओं ने अपने और अपने परिवारों की परवाह किए बगैर देश के लिए अपनी जान गंवाने के लिए भी नहीं सोचते। देश की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए हमारे जवान हमेशा एक कदम आगे ही रहते हैं। देश के लिए हमारी सेनाओं के बलिदान की कोई तुलना नहीं की जा सकती है।
7 दिसंबर 1949 से एक परंपरा निभाई जा रही है, जो आज भी जारी है और हर शख्स के लिए उनकी आखिरी सांसों तक जारी रहेगी। बता दें कि आज ही के दिन 1949 में देश के सशस्त्र बलों के बलिदान को सम्मान के साथ याद किया जाता आ रहा है। इसी कड़ी में आज भी 7 दिसंबर को सेना के बलिदान को याद करते हुए उनके सम्मान में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्य देश की सभी सेनाओं का उनके बलिदान और त्याग के लिए सम्मान देना है। इतना ही नहीं इसका एक मकसद ये भी है कि देश की जनता सेना के जवानों के साथ-साथ उनके परिजनों के लिए सोचे। सशस्त्र सेना झंडा दिवस के लिए ऐसी मान्यता बताई जाती है कि देश के प्रत्येक नागरिक का ये कर्तव्य है कि वे देश के सभी सैनिकों के प्रति उनके कल्याण में अपना योगदान दें। बाकायदा सरकार इसके लिए देश की जनता से सहायता राशि भी इक्ट्ठी की जाती है। इसमें देश का हर एक नागरिक अपनी इच्छानुसार राशि दे सकता है। जिसे सेना के जवानों और उनके परिवार के कल्याण में खर्च किया जाता है।
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