7 दिसंबर 1949 से एक परंपरा निभाई जा रही है, जो आज भी जारी है और हर शख्स के लिए उनकी आखिरी सांसों तक जारी रहेगी। बता दें कि आज ही के दिन 1949 में देश के सशस्त्र बलों के बलिदान को सम्मान के साथ याद किया जाता आ रहा है। इसी कड़ी में आज भी 7 दिसंबर को सेना के बलिदान को याद करते हुए उनके सम्मान में सशस्त्र सेना झंडा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का सबसे बड़ा उद्देश्य देश की सभी सेनाओं का उनके बलिदान और त्याग के लिए सम्मान देना है। इतना ही नहीं इसका एक मकसद ये भी है कि देश की जनता सेना के जवानों के साथ-साथ उनके परिजनों के लिए सोचे। सशस्त्र सेना झंडा दिवस के लिए ऐसी मान्यता बताई जाती है कि देश के प्रत्येक नागरिक का ये कर्तव्य है कि वे देश के सभी सैनिकों के प्रति उनके कल्याण में अपना योगदान दें। बाकायदा सरकार इसके लिए देश की जनता से सहायता राशि भी इक्ट्ठी की जाती है। इसमें देश का हर एक नागरिक अपनी इच्छानुसार राशि दे सकता है। जिसे सेना के जवानों और उनके परिवार के कल्याण में खर्च किया जाता है।