हम यहां बात कर रहे हैं बिहार के सोनपुर में रहने वाले 75 वर्षीय वैधनाथ प्रसाद सिंह और उनकी 60 वर्षीय प्रेमिका सुगम संघा के बारे में जिनके आगे वक्त ही शायद फीका पड़ गया। दरअसल बात कुछ इस प्रकार है कि आज से करीब 47 साल पहले यानि कि साल 1971 में पेशे से ब्लॉक कर्मचारी वैधनाथ सिंह, सुगम के घर में किराए पर रहते थे।
पहली ही नजर में वैधनाथ जी को सुगम काफी भा गई और उन्हें सुगम से प्यार हो गया, लेकिन पहले से शादीशुदा वैधनाथ अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकें और उन्हें दबाए रखा। मन ही मन सुगम को अपनी पत्नी मानने वाले वैधनाथ जी ने उनके नाम काफी सम्पत्ति भी खरीदा था लेकिन सामाजिक बंधनों के दबाव में उन्होंने एक शब्द तक नहीं कहा।
उधर सुगम को भी वैधनाथ काफी भाने लगे। वैधनाथ की पत्नी जब बीमार पड़ी तो सुगम ने ही उनके घर को संभाला और वैधनाथ जी की पत्नी की देखभाल भी की। इतना ही नहीं वैधनाथ जी की पत्नी की मौत के बाद सुगम ने उनके परिवार को संभाला।
अब थी बच्चों की बारी तो उन्होंने भी अपने कर्तव्य को पूरा किया और इसे पूरा करने के लिए बच्चों ने पिता और सुगम की मंदिर में शादी करा दी और वो भी जैसे-तैसे नहीं बल्कि अग्रि को साक्षी मानकर पूरे रीति-रिवाज के साथ। 47 साल से अपने प्यार को दबाए रखने वाले इस जोड़े को आखिर उनके रिश्ते की आखिरी और अहम मंजिल मिल ही गई।