कैसे तैयार की गई रिपोर्ट
आपको बता दें कि नौकरी-पेशा करने वाली महिलाओं की चुनौतियों पर एक अध्ययन करवाया गया। इस अध्ययन से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है। इस अध्ययन में पांच से 12 साल की उम्र के 3,200 बच्चों का परीक्षण किया था। इस अध्ययन में कॉरपोरेट, मीडिया और विकास क्षेत्र में काम करने वाली शहरी क्षेत्र की महिलाओं को शामिल किया गया था। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में केवल 16 प्रतिशत महिलाएं ही सीनियर लीडरशिप की भूमिका हासिल कर पाती हैं। हालांकि अन सबके बीच ऑफिस में कार्य के दौरान महिला-पुरुष के बीच भेदभाव की बात भी सामने आई है। बता दें कि इस अध्ययन को ‘जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन’ में पब्लिश किया गया है।
महिलाओं के नौकरी छोड़ने के कई कारण हैं
अशोका यूनिवर्सटी के जेनपैक्ट सेंटर फॉर वूमेंस लीडरशिप की निदेशक हरप्रीत कौर ने रिपोर्ट जारी करने के मौके पर कहा कि भारतीय वर्क कल्चर में पुरुषों को ज्यादा तरजीह दी जाती है और महिलाओं के साथ भेदभाव होता है। हालांकि उन्होंने कहा कि वर्कफोर्स में महिलाओं के लिए रास्ते खुले हुए हैं। महिलाओं के नौकरी छोड़ने के कई कारण हैं। प्रेग्नेंसी, बच्चों का जन्म, बच्चों की देखभाल, वृद्धों की देखभाल, पारिवारिक समर्थन की कमी और ऑफिस का माहौल जैसी कई बातें हैं, जो महिलाओं को नौकरी छोड़ने पर विवश होना पड़ता है और किसी संस्थान या बड़ी इंडस्ट्रीज में बड़े रोल निभाने से रोकते हैं।