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Independence Day की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति Ram Nath Kovind के भाषण के प्रमुख अंश

locationनई दिल्लीPublished: Aug 15, 2020 07:31:19 am

74वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति का राष्ट्र के नाम संबोधन।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि इस साल ने सभी को दिए हैं चार सबक।
कोरोना वायरस, अंफान चक्रवात, नई शिक्षा नीति, राम मंदिर का भी किया जिक्र।

74th Independence Day: Key highlights of President Ram Nath Kovind's address to nation

74th Independence Day: Key highlights of President Ram Nath Kovind’s address to nation

नई दिल्ली। देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में वर्ष 2020 को चार बड़े सबक देने वाला साल बताया है। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2020 में सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, जो पूरी मानवता के लिए उपयोगी साबित होंगे। आज की युवा पीढ़ी ने इन्हें भली-भांति आत्मसात भी किया है। जानिए कि राष्ट्रपति ने शुक्रवार को अपने संबोधन में क्या महत्वपूर्ण बातें कहीं।
1. इस वर्ष स्वतंत्रता दिवस के उत्सवों में हमेशा की तरह धूम-धाम नहीं होगी। इसका कारण स्पष्ट है। पूरी दुनिया एक ऐसे घातक वायरस से जूझ रही है जिसने जन-जीवन को भारी क्षति पहुंचाई है और हर प्रकार की गतिविधियों में बाधा उत्पन्न की है। इस वैश्विक महामारी के कारण हम सबका जीवन पूरी तरह से बदल गया है।
2. वर्ष 2020 में हम सबने कई महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं। एक अदृश्य वायरस ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि प्रकृति मनुष्य के अधीन है। मेरा मानना है कि सही राह पकड़कर, प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित जीवन-शैली को अपनाने का अवसर, मानवता के सामने अभी भी मौजूद है। जलवायु परिवर्तन की तरह, इस महामारी ने भी यह चेतना जगाई है कि विश्व-समुदाय के प्रत्येक सदस्य की नियति एक दूसरे के साथ जुड़ी हुई है। मेरी धारणा है कि वर्तमान संदर्भ में ‘अर्थ-केंद्रित समावेशन’ से अधिक महत्व ‘मानव-केंद्रित सहयोग’ का है। यह बदलाव जितना अधिक व्यापक होगा, मानवता का उतना ही अधिक भला होगा। इक्कीसवीं सदी को उस सदी के रूप में याद किया जाना चाहिए जब मानवता ने मतभेदों को दरकिनार करके, धरती मां की रक्षा के लिए एकजुट प्रयास किए।
3. दूसरा सबक यह है कि प्रकृति रूपी जननी की दृष्टि में हम सब एक समान हैं तथा अपने जीवन की रक्षा और विकास के लिए मुख्यत: अपने आस-पास के लोगों पर निर्भर हैं। कोरोना वायरस मानव समाज द्वारा बनाए गए कृत्रि‍म विभाजनों को नहीं मानता है। इससे यह विश्वास पुष्ट होता है कि मनुष्यों द्वारा उत्पन्न किए गए हर प्रकार के पूर्वाग्रह और सीमाओं से, हमें ऊपर उठने की आवश्यकता है। भारतवासियों में परस्पर सहयोग और करुणा की भावना दिखाई देती है। हमें, अपने आचरण में इस सद्गुण को और अधिक समाविष्ट करना चाहिए। तभी हम, सबके लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
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4. तीसरा सबक, स्वास्थ्य-सेवा को और मजबूत करने से जुड़ा है। सार्वजनिक अस्पतालों और प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 का सामना करने में अग्रणी भूमिका निभाई है। सार्वजनिक स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं के कारण गरीबों के लिए इस महामारी का सामना करना संभव हो पाया है। इसलिए, इन सार्वजनिक स्वास्थ्य-सुविधाओं को और अधिक विस्तृत व सुदृढ़ बनाना होगा।
5. चौथा सबक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित है। इस वैश्विक महामारी से विज्ञान और टेक्‍नोलॉजी को तेजी से विकसित करने की आवश्यकता पर और अधिक ध्यान गया है। लॉकडाउन और उसके बाद क्रमशः अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान शासन, शिक्षा, व्यवसाय, कार्यालय के काम-काज और सामाजिक संपर्क के प्रभावी माध्यम के रूप में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को अपनाया गया है। इस माध्यम की सहायता से सभी भारतीयों का जीवन बचाने और काम-काज को फिर से शुरू करने के उद्देश्यों को, एक साथ हासिल करने में मदद मिली है। केंद्र एवं राज्‍य सरकारों के कार्यालय, अपने कार्यों के निर्वहन के लिए, बड़े पैमाने पर, वर्चुअल इंटरफ़ेस का उपयोग कर रहे हैं। न्याय प्रदान करने के लिए, न्यायपालिका ने वर्चुअल कोर्ट की कार्यवाही को अपनाया है। वर्चुअल कॉन्फ्रेंस आयोजित करने तथा अन्य अनेक गतिविधियों को सम्पन्न करने के लिए राष्ट्रपति भवन में भी हम, प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं। आईटी और संचार उपकरणों की सहायता से डिस्टेन्स एजुकेशन तथा ई-लर्निंग को बढ़ावा मिला है। कई क्षेत्रों में अब, घर से काम करने का ही प्रचलन हो गया है। प्रौद्योगिकी की सहायता से, सरकारी और निजी क्षेत्रों के अनेक प्रतिष्ठानों द्वारा, सामान्य स्तर से कहीं अधिक काम-काज करके, अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की गई है। इस प्रकार, हमने यह सबक सीखा है कि प्रकृति से सामंजस्य रखते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने से, हमारे अस्तित्व और विकास की निरंतरता को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
6. यह दौर हम सभी के लिए कठिन है। हमारे युवाओं की कठिनाई तो और भी गंभीर दिखाई देती है। शिक्षण संस्थानों के बंद होने से हमारे बेटे-बेटियों में चिंता पैदा हुई होगी, और फिलहाल, वे अपने सपनों और आकांक्षाओं को लेकर चिंतित होंगे। मैं उन्हें यह बताना चाहूंगा कि इस संकट पर हम विजय हासिल करेंगे, और इसलिए, अपने सपनों को पूरा करने के प्रयासों में आप सभी युवाओं को निरंतर जुटे रहना चाहिए। इतिहास में, ऐसे प्रेरक उदाहरण उपलब्ध हैं जहां बड़े संकटों एवं चुनौतियों के बाद सामाजिक, आर्थिक, और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का कार्य नई ऊर्जा के साथ किया गया। मुझे विश्वास है कि हमारे देश और युवाओं का भविष्य उज्ज्वल है।
7. हमारे बच्चों और युवाओं को भविष्य की जरूरतों के अनुसार शिक्षा प्रदान करने की दृष्टि से, केंद्र सरकार ने हाल ही में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ लागू करने का निर्णय लिया है। मुझे विश्वास है कि इस नीति से, गुणवत्ता से युक्त एक नई शिक्षा व्यवस्था विकसित होगी जो भविष्‍य में आने वाली चुनौतियों को अवसर में बदलकर नए भारत का मार्ग प्रशस्‍त करेगी। हमारे युवाओं को अपनी रूचि और प्रतिभा के अनुसार अपने विषयों को चुनने की आजादी होगी। उन्हें अपनी क्षमताओं को विकसित करने का अवसर मिलेगा। हमारी भावी पीढ़ी, इन योग्‍यताओं के बल पर न केवल रोजगार पाने में समर्थ होगी, बल्कि दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर उत्‍पन्‍न करेगी।
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9. राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक दूरदर्शी और दूरगामी नीति है। इससे शिक्षा में ‘Inclusion’, ‘Innovation’ और ‘Institution’ की संस्कृति को मजबूती मिलेगी। नई शिक्षा नीति के तहत मातृभाषा में अध्ययन को महत्व दिया गया है, जिससे बालमन सहजता से पुष्पित-पल्लवित हो सकेगा। साथ ही इससे भारत की सभी भाषाओं को और भारत की एकता को आवश्यक बल मिलेगा। किसी भी राष्ट्र को सशक्त बनाने के लिए उसके युवाओं का सशक्तीकरण आवश्यक होता है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस दिशा में एक बड़ा कदम है।
9. केवल दस दिन पहले अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का शुभारंभ हुआ है और देशवासियों को गौरव की अनुभूति हुई है। देशवासियों ने लंबे समय तक धैर्य और संयम का परिचय दिया और देश की न्याय व्यवस्था में सदैव आस्था बनाए रखी। श्रीराम जन्मभूमि से संबंधित न्यायिक प्रकरण को भी समुचित न्याय-प्रक्रिया के अंतर्गत सुलझाया गया। सभी पक्षों और देशवासियों ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को पूरे सम्मान के साथ स्वीकार किया और शांति, अहिंसा, प्रेम एवं सौहार्द के अपने जीवन मूल्यों को विश्व के समक्ष पुनः प्रस्तुत किया। इसके लिए मैं सभी देशवासियों को बधाई देता हूँ।
10. जब भारत ने स्वाधीनता हासिल की, तो कुछ लोगों ने यह आशंका जताई थी कि लोकतंत्र का हमारा प्रयोग सफल नहीं होगा। वे हमारी प्राचीन परंपराओं और बहुआयामी विविधता को हमारी राज्य-व्यवस्था के लोकतंत्रीकरण के मार्ग में बाधा समझते थे। लेकिन, हमने अपनी परम्पराओं और विविधता को सदैव अपनी ताकत समझकर उनका संवर्धन किया है, और इसीलिए दुनिया का यह सबसे बड़ा लोकतंत्र इतना जीवंत है। मानवता की भलाई के लिए, भारत को अग्रणी भूमिका निभाते रहना है।
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