76 फीसदी लोगों ने जताई सहमती बता दें कि 76 फीसदी लोगों ने सजा पर कहा कि बच्चों से दुष्कर्म करने वालों को मौत की सजा मिलनी चाहिए। वहीं 18 फीसदी लोगों ने दुष्कर्म दोषियों को बिना पैरोल के जीवन भर उम्रकैद की सजा देने पर सहमति जताई और 3 फीसदी लोगों ने कहा कि सात साल जेल की सजा यानी कि अभी तक जो सजा मिलती है वही होनी चाहिए।
हाईकोर्ट: दुष्कर्म मामले में फांसी का अध्यादेश लाने से पहले क्या केंद्र सरकार ने कोई अध्ययन किया लोकलसर्किल द्वारा दिया गया सर्वे गौरतलब है कि महामहीम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा बच्चों से दुष्कर्म के दोषियों के लिए मौत की सजा वाले अध्यादेश पर मुहर लगने के एक दिन बाद एक सर्वे किया गया। यह सर्वे लोकलसर्किल द्वारा दिया गया।
यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा यानी पॉस्को अधिनियम पर नागरिकों की राय जानने के लिए लोकलसर्किल ने छह प्रमुख सर्वे किए, ये सर्वे राष्ट्रव्यापी तरीके से कराए गए थे। इस सर्वे से 40 हजार से ज्यादा लोगों के जवाब मिले। वहीं दूसरे सर्वे में 89 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें लोगों ने एक ऐसा कानून लाने की बात कही जिसमें छह महीने के भीतर मौत की सजा सुनाई जाए। मालूम हो कि मध्य प्रदेश , राजस्थान, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश बाल दुष्कर्म के लिए मौत की सजा वाला कानून पहले ही पारित कर चुके हैं।
तीन महीने पहले किया दुष्कर्म, पंचायत ने कराया कराया शादी का समझौता, बारात के दिन आरोपी दुल्हा फरार महिला अधिकारियों की मांग ज्यादा वहीं अन्य सर्वे से पता चला कि 65 फीसदी लोग चाहते हैं कि पॉस्को न्यायाधीश केवल नाबालिग से यौन दुर्व्यव्हार से संबंधित मामलों को ही संभालें और मामलों के लिए अलग से न्यायाधीश होने चाहिए। एक सर्वे में ये बात भी कही गई कि यौन उत्पीड़न के मामलों को दर्ज करने के लिए महिला अधिकारी अधिक हों। जिसमें लोगों ने मांग की है कि प्रत्येक जिला स्तर पुलिस थाने में कम से कम एक महिला अधिकारी तैनात होनी चाहिए।