अंग्रेजी भारतीयों के लिए एक प्रेरणादायी और महत्वाकांक्षी भाषा है जो खुद के स्तर को उपर उठाने में मददगार साबित होती है। कई भारतीय दिखावा करने के लिए अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में भेजते हैं। देश में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट अभी तक अंग्रेज़ी का उपयोग करते हैं।
अंग्रेजों ने भारत की तमाम रियासतों को एक विशेष कारण के चलते अपने अधीन किया। उनका उद्देश्य परस्पर विरोधी राजकुमारों और स्वतंत्र सम्राटों के बीच लोकतंत्र को लागू करना था। अंग्रेजों ने विभिन्न विधायिकाओं को तमाम एक्ट (जैसे इंडियन कांउसिल एक्ट 1861) के साथ पेश किया गया था, जो कि आजादी के बाद उसके लिए काफी मददगार साबित हुआ।
अंग्रेजों ने भारत के हर चौराहे का एक नक्शा बनाया। उन्होंने तमाम तरह के भौगोलिक नक्शे बनाकर भारतीयों को सौंपा। रेल नेटवर्क
भारत की पहली यात्री रेलवे लाइन अंग्रेजों के समय 1853 में बंबई और ठाणे के बीच बन कर तैयार हुई थी। यह 34 किलोमीटर लंबी थी। मौजूदा समय में हमारे विशाल रेल नेटवर्क की कुल लंबाई लगभग 1,19,640 किमी है। यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है।
चूंकि अंग्रेजों को ठंडे स्थान पंसद थी उन्होंने गर्मियों से बचने के लिए भारत में 80 पहाड़ी स्टेशनों का निर्माण किया। इनमें शिमला और ऊंटी जैसे कई पर्यटन स्थल शामिल हैं। अंग्रेजों ने होटल (शिमला में क्लार्क्स होटल) का निर्माण किया जो अभी भी समय की कसौटी पर खड़ा है।
ब्रिटिश दौर के दो बेहतरीन इमारतों में मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनल और कोलकाता का विक्टोरिया मेमोरियल शामिल है। हालांकि इसके अलावा भी बहुत सारे हैं। जिनकी भव्यता ब्रिटिश दौर के निर्माण शैली का प्रमाण प्रस्तुत करती है। गेटवे ऑफ इंडिया, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन, आज भारत के सांस्कृतिक इतिहास का हिस्सा बन गए हैं।
ब्रिटिश काल के दौरान खेले जाना वाला यह खेल भले ही निचले पायदान पर रहा हो लेकिन अब यह भारत के लिए कॉलिंग कार्ड बन गया है। भारत ने इस खेल को एक कला के रूप में इतना विकसित किया है कि आज हम इसमें अंग्रेजों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर हैं।
भारत में अंग्रेजों के आने के पहले भारत में व्यावसायिक खेती की परंपरा नहीं थी। अंग्रेजों ने फसलों की संख्या में वृद्धि की और निर्यात किया। उन्होंने गेहूं, कपास, तेल के बीज, गन्ना और तंबाकू जैसी फसलों को खरीदा और बेचा।