बताया जा रहा है कि बच्चे का जन्म जेनेटिक डिसऑर्डर (Genetic disorder) की वजह से असामान्य ढंग (Unusual way) से हुआ है। चिकित्सा विज्ञान (medical science) में ऐसे बच्चे को ‘कोलोडियन बेबी’ (Collodion baby) कहा जाता है। बच्चा रोता है तो उसकी चमड़ी फटने लगती है। इकलौती संतान की यह हालत देखकर मां-बाप भी परेशान हैं। इस बच्चे को देखकर चिकित्सक भी चौंक पड़े।
चमड़ी से ढकी हुई थीं चमड़ी गगनदीप सिंह (Gagandeep Singh) की पत्नी बलजीत कौर (Baljeet Kaur) को कोख से तकरीबन एक माह पूर्व जन्मे इस बच्चे का नाम गुरसेवक सिंह रखा गया है। गुरसेवक के जन्म के साथ ही उसके पूरे तन पर चमड़ी का एक अलग आवरण चढ़ा था। उसकी आंखें तक चमड़ी से ढकी हुई थीं। गुरुनानक देव अस्पताल ने जांच में पाया कि यह कोलोडियन बेबी (Collodion baby) है। इसके बाद स्किन पर कुछ विशेष लेप किए गए।
मछली जैसे थे होंठ डॉक्टर के मुताबिक जन्म के 15 दिन बाद बच्चे के शरीर से चमड़ी की परत रहस्यमय ढंग से स्वत: उतरने लगी। सारी चमड़ी उतर गई तो बच्चे की आंखें दिखाई देने लगी। उसकी आंखें व होंठ मछली जैसे हैं। कोलोडियन बेबी का चेहरा इसी तरह का दिखता है। गुरसेवक के पिता बलजीत सिंह के गगनदीप सिंह के अनुसार वह ऑनलाइन कंपनी (Online company) में डिलीवरी ब्वॉय (Delivery boy) की नौकरी करते हैं। गुरसवेवक उनकी पहली संतान है। जन्म के बाद बच्चे ने मां का दूध नहीं पिया। अब अस्पताल से उसे घर ले आए हैं। मां का दूध पी रहा है।
रबड़ की तरह होती है त्वचा गुरुनानक देव अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ संदीप अग्रवाल के अनुसार कोलोडियन बेबी का जन्म एक असामान्य घटना है। यह जेनेटिक डिसऑर्डर की वजह से होता। सरल शब्दों में कहें तो मां-बाप के गुणसूत्रों में संक्रमण से ऐसे बच्चों का जन्म होता है। उसकी त्वचा रबड़ की तरह होती है। तकरीबन दस लाख बच्चों में एक बच्चे का जन्म इस अवस्था में होता है।
जानिए क्या होते है कोलोडियन बेबी इस केस में जन्मे बच्चे की त्वचा रबड़ की तरह होती है। ऐसे बच्चे विरले ही पैदा होते हैं। करीब 10 लाख बच्चों में इस तरह का एक बच्चा जन्म लेता है। जिसकी त्वचा सांप की त्वचा की तरह नजर आती है। मेडिकल साइंस की भाषा में इस तरह के बच्चों को ‘कोलोडियन बेबी’ कहा जाता है।
डाक्टरों के मुताबिक यह जेनेटिक डिसआर्डर है। इस रोग से ग्रस्त बच्चों की स्किन हर तीन से चार हफ्ते में खुद उतरती है। इस दरम्यान चमड़ी फट भी जाती है। इससे बच्चों को दर्द होता है और इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है। बच्चे की जान भी जा सकती है। यदि ऐसे बच्चों के शरीर को हाथ से टच किया जाता है तो भी उन्हें दर्द होता है। ऐसे बच्चे बिल्कुल रबड़ की गुड़िया की तरह लगते हैं। उनकी आंखे और होंठ लाल होते हैं। इतना ही नहीं संक्रमण का खतरा पूरे जीवन बना रहता है।