उपभोक्ताओं की शिकायत के निवारण की उचित व्यवस्था हो : मोदी
Published: Jun 29, 2016 11:19:00 pm
उन्होंने देशभर मे चल रहे सौर पंपों की स्थापना की दिशा में जारी प्रगति की समीक्षा की
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को विभिन्न मंत्रालयों के केंद्रीय सचिवों तथा राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे उपभोक्ताओं की शिकायतों का शीघ्र एवं समुचित समाधान सुनिश्चित करें और इस दिशा में होने वाली चूक का पता लगाकर जवाबदेही तय करें। मोदी ने आईसीटी आधारित मल्टी मीडिया प्लेटफार्म ‘प्रो-एक्टिव गवर्नेंस एंड टाइमली इम्पलिमेंटेशन’ (प्रगति) के जरिए 13वीं मासिक वीडियो कांफ्रेंसिंग की।
प्रधानमंत्री ने अधिकारियों से दक्षता बढ़ाने और उपभोक्ता शिकायतों को अधिक प्रभावी ढ़ंग से निवारण के लिए मुद्दों की प्रकृति और जिम्मेदारी तय करने और उनके लिए समाधान की पहचान करने की दिशा में काम करने के लिए कहा। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि इस पर दस दिनों के भीतर प्रभावी कार्य किया जाए।
उन्होंने टिकट और होटल आरक्षण की बुकिंग के रूप में ई-कॉमर्स के क्षेत्र से संबंधित शिकायतों के बारे में संबंधित अधिकारियों से पूछा और उनसे इसके समाधान के लिए उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने मोदी को इस संबंध उठाए गए कदमों जैसे राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की क्षमता बढ़ाना के बारे में सूचित किया।
प्रधानमंत्री ने सड़क, रेलवे, बिजली, कोयला और खनन क्षेत्रों में काम कर रहे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाएं,जो कई राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार, ओडिशा और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में फैली हैं, उनकी प्रगति की समीक्षा की।
उन्होंने देशभर मे चल रहे सौर पंपों की स्थापना की दिशा में जारी प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि 208 मेगावाट की कुल क्षमता के सौर पंप अब तक देशभर में स्थापित कर दिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने झारखंड, तेलंगाना, पंजाब, छत्तीसगढ़, गुजरात और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के मुख्य सचिवों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।
उन्होंने बताया गया कि सौर पंप दूरदराज और नक्सली प्रभावित क्षेत्रों विशेष रूप से छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर के क्षेत्रों में देश के स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में मदद कर रहे हैं। बाढ़ से निपटने के लिए तैयारियों की समीक्षा के दौरान प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि राज्यों को संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, सही ढ़ंग से मॉक ड्रिल का संचालन और बाढ़ राहत तंत्रों को प्रभावकारी बनाया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने जल संरक्षण की दिशा में प्रयासों की आवश्यकता पर भी बल दिया।