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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बालिग लड़की को अपने फैसले लेने का पूरा हक

Published: Jan 05, 2018 10:01:30 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी बालिग युवती अपने भविष्य का फैसला खुद ले सकती है।

Supreme Court
नई दिल्ली। एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी बालिग युवती अपने भविष्य का फैसला खुद ले सकती है। कोर्ट का मानना है कि वह उसके सुपर अभिभावक का रोल नहीं निभा सकती है। उसे यह अधिकार है कि वह जहां चाहे जा सकती है।

लड़की की मां ने दायर की थी याचिका
एक महिला द्वारा अपने बालिग बेटी को अपने साथ रखने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग करने की याचिका दाखिल की गई थी। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। बेंच ने कहा कि किसी बालिग लड़की को ये फैसला करने का अधिकार है कि वो किसके साथ रहे। उसके मुताबिक वो जहां जाना चाहे, जिसके साथ चाहे जा सकती है।

बालिग लड़की को फैसला लेने का हक
याचिकाकर्ता महिला ने अपनी बालिग बेटी को अपने साथ रखने की मांग की थी। लेकिन जब लड़की सितंबर 2016 में बालिग हुई तो वो अपने पिता के साथ कुवैत जाकर रहना चाहती थी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के पक्ष में फैमिली कोर्ट के पहले के दो आदेशों का भी हवाला दिया। फैमिली कोर्ट के आदेश के आधार पर महिला ने लड़की के पिता के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि जब लड़की बालिग हो गई है तो उसे अपने फैसले लेने का हक है।

केरल के लव जिहाद मामले पर भी इसी बेंच ने दिया था फैसला
बता दें कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली ये वही बेंच है जिसने केरल की लड़की हदिया को उसकी मर्जी के मुताबिक अपने मुस्लिम पति के साथ नहीं भेजा और उसे पढ़ाई पूरी करने के लिए तमिलनाडु के सलेम में होम्योपैथिक कॉलेज भेज दिया था। हदिया के पिता और कुछ संगठनों द्वारा हदिया मामले को लव जिहाद से जोड़ने की भी कोशिश की गई थी।
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