इसरो का यह तीसरा लंबा मिशन है। मिशन 113 मिनट में समाप्त होगा। रॉकेट मिशन का उल्लेखनीय पहलू उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करना है जिसमें से एक उपग्रह ऊपरी कक्षा और अन्य निचली कक्षा में स्थापित किए जाने है। भारतीय उपग्रह हायसिस अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हो चुका है और बाकी अन्य भी जल्द ही एक निचली कक्षा में स्थापित कर दिए जाएंगे।
भविष्य में इसरो के पास काफी प्रोजेक्ट हैं। जो शीघ्र ही लॉन्च होंगे। हायसिस उपग्रह के प्रक्षेपण के अवसर पर इसरो के अध्यक्ष डॉ. के सीवान ने जानकारी दी कि हमारा अगला मिशन है GSAT-11 लॉन्च करना। यह भारत में बनाई गई है। यह सबसे भारी उपग्रह है। इसका वजह 5,854 किलोग्राम है। इस सैटेलाइट को एरियाने-5 (Ariane-5) लॉन्च व्हीकल से 5 दिसंबर को फ्रांस के फ्रेंच गुयाना के कौहू से छोड़ा जाएगा। उपग्रह देश में ब्रॉडबैंड सेवा को बेहतर बनाने के लिए अहम किरदार अदा करेगा। कौहू से जनवरी 2019 में एक और सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। वहीं GSLV-F11 GSAT-7A भी दिसंबर में प्रक्षेपण होगा। भारत का अहम और बड़ा मिशन चंद्रयान -2 अगले साल जनवरी में लॉन्च होना है। जिसकी तैयारियों चल रही हैं।