नई दिल्ली. देश में बीते एक दशक में खेतों में काम करने वाले मजदूरों की आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं। पांच में से तीन मजदूर पारिवारिक वजहों और बीमारी के कारण खुदकुशी कर लेते हैं। महाराष्ट्र में यह स्थिति सबसे ज्यादा भयावह है। एनसीआरबी ने इस बाबत आंकड़े पेश किए हैं। हैरानी की बात यह कि देश में पारिवारिक वजहों से अपनी जिंदगी खत्म करने वाले लोगों की संख्या इन मजदूरों से कम है। यही नहीं, एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं कि किसानों के मुकाबले उनके साथ खेतों में काम करने वाले मजदूर पारिवारिक वजहों और बीमारी के चलते ज्यादा त्रस्त हैं। आंकड़ों के अनुसार, खुदकुशी करने वालों में 40.1 फीसदी कृषि क्षेत्र के मजदूर पारिवारिक वजहों से ऐसा कदम उठाते हैं। वहीं, साल 2015 में 1843 मजदूरों ने इन कारणों से अपनी जिंदगी समाप्त कर ली थी। बीमारी से 60 फीसदी मरे वर्ष 2015 में 60 फीसदी कृषि क्षेत्र के मजदूर बीमारी के कारण मर गए। इनकी संख्या 4595 है। बीमारी से मरने वाले किसानों की तुलना में इनका आंकड़ा बहुत अधिक है। बता दें कि बीमारी से मरने वाले लोगों का औसत प्रतिशत करीब 43 फीसदी है। इसके अलावा हर साल समूचे देश में पारिवारिक वजहों के कारण 27.6 फीसदी और बीमारी के कारण 15.8 फीसदी आत्महत्या कर लेते हैं। इस लिहाज से कृषि क्षेत्र के मजदूर की खुदकुशी के मामले ज्यादा हैं। मध्यप्रदेश मौत में दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा खेती करने वाले मजदूर आत्महत्या करते हैं। साल 2015 में 1261 मजदूरों ने अपना जीवन समाप्त किया। इसके बाद खुदकुशी के मामले में मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर आता है। इस मियाद में यहां 709 मजदूरों ने आत्महत्या की। तमिलनाडु में 604, आंध्र प्रदेश में 400, कर्नाटक में 372, गुजरात में 244 और केरल में 207 मजदूरों ने खुदकुशी की। इतना ही नहीं, किसानों की आत्महत्या के मामले में भी महाराष्ट्र सबसे आगे है। कितनों ने की आत्महत्या ( साल 2015 ) – 4595 खेतों में काम करने वाले मजदूरों ने खुदकुशी की – 4018 पुरुष मजदूर हैं इनमें – 577 महिला मजदूर हैं इनमें – 8007 किसानों ने आत्महत्या की साल 2015 में, कई कारणों से इन वजहों से भी आत्महत्या ड्रग की लत- 6.8 फीसदी गरीबी- 3.9 फीसदी कर्ज व आर्थिक तंगी- 3.4 फीसदी संपत्ति विवाद- 2 फीसदी शादी व दहेज संबंधी विवाद- 2 फीसदी प्यार संबंधी मामले- 3.3 फीसदी कितने किसानों ने किया सुसाइड (साल 2015) – 1 हेक्टेयर से कम जमीन वाले 2195 किसानों ने आत्महत्या की – 1 से 2 हेक्टेयर जमीन वाले 3618 किसानों ने सुसाइड किया – 2 से 10 हेक्टेयर जमीन वाले 2034 किसानों ने खुदकुशी की – 10 से ज्यादा हेक्टेयर जमीन के मालिक 160 किसानों ने अपनी जिंदगी खत्म की