दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त ने कहा कि बदमाश के निशाने पर पहले पब्लिक होती है फिर, आमना-सामना होने पर बेखौफ बदमाश खाकी का भी खौफ नहीं खाते हैं। बदमाश के दिमाग में जब तक पुलिस खुद अपना खौफ जमाने के लिए पसीना नहीं बहाएगी, बदमाश पहले अपने भले की सोचेगा।
शर्मा ने कहा, ‘जिस तरह आजकल दिल्ली में पुलिस पर फायरिंग, दिन-दहाड़े डीसीपी के कार्यालय के पास कार में बैठी महिला की गोली मारकर हत्या या फिर कार की बोनट पर चढ़कर बदमाश निहत्थे इंसानों को गोलियों से भून रहे हैं। यह सब साबित करने के लिए काफी है कि पुलिस शांत है। बदमाश तभी बोलना (अपराध करना) शुरू करता है, जब उसे पुलिस शांत दिखाई देने लगती है।’
एनकाउंटर स्पेशलिस्ट ने कहा कि अभी मैं जो देख-सुन रहा हूं इससे यही लग रहा है कि दिल्ली पुलिस इन दिनों सो रही है। ये बाते मैं 36-37 साल पुलिस की नौकरी के अनुभव से कह रहा हूं। पुलिस का खौफ अगर बदमाश के दिल-दिमाग पर बैठा हो तो, भला बेमौत मरना किसे अच्छा लगता है?शर्मा ने कहा, ‘जब तक बदमाश को खुद की मौत और कानून का भय नहीं होगा, वह पब्लिक और पुलिस दोनों पर हावी होने की गफलत में ही रहेगा।’