रक्षा मंत्री ने मार्शल अर्जन सिंह से पूछा कि आप जवाबी हमला कब तक कर सकते हैं। इस पर उन्होंने हमला करने के लिए सिर्फ एक घंटे का वक्त मांगा। इस बैठक के ठीक एक घंटे बाद भारतीय सेना के लड़ाकू जहाज अखनूर सेक्टर पहुंच गए और पाकिस्तानी टैंकों पर हमला कर दिया। कुछ ही देर में वायुसेना ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
1947 में भी पाक को सिखाया था सबक
1947 में देश आजाद होते ही पाकिस्तान ने कोई जगहों पर मोर्चा खोल दिया। इस दौरान उत्तरी वायुसेना की कमान अर्जन सिंह ही संभाल रहे थे। उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व की वजह से दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए और भारतीय सेना को विजय मिली।
1947 में देश आजाद होते ही पाकिस्तान ने कोई जगहों पर मोर्चा खोल दिया। इस दौरान उत्तरी वायुसेना की कमान अर्जन सिंह ही संभाल रहे थे। उन्होंने अपने कुशल नेतृत्व की वजह से दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए और भारतीय सेना को विजय मिली।
उनकी वीरता को देखते हुए तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई बी चव्हाण ने कहा था कि एयर मार्शन अर्जन सिंह हीरा हैं, वे अपने नेतृत्व के धनी हैं। इसके बाद मार्शल 1962 की लड़ाई में वायु सेना के उप प्रमुख पद पर तैनात थे।
इस लड़ाई में भी उन्होंने कुशल नेतृत्व का परिचय दिया। 1965 में उनके नेतृत्व में भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बाद वायु सेना प्रमुख से उनकी रैंक बढ़ाकर फील्ड मार्शल कर दी थी। इस पद पर पहुंचने वाले वे वायुसेना के पहले अधिकारी थे।