केरल में बढ़ रहे हैं पुलिस उत्पीड़न के मामले इस विषय पर काम रोको प्रस्ताव लाने की मांग करते हुए विपक्ष ने सदन में हंगामा किया। राज्य के पूर्व गृह मंत्री तिरुवंचूर राधाकृष्णन ने पिछले दो सप्ताह के ऐसे मामले पेश किए जिनमें पुलिस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही है। राधाकृष्णन ने कहा, “इसी महीने जब पुलिस अलप्पुजा में ट्रैफिक का उल्लंघन करने वाले एक व्यक्ति का पीछा कर रही थी, उनके वाहन से टकराकर दो लोगों की मौत हो गई। एक अन्य मामले में जब रिटायर्ड रेलवे अधिकारी ने केरल के राज्यपाल के काफिले के गुजरने के लिए अपनी गाड़ी रोकी तो एक पुलिस अधिकारी ने उनके साथ मारपीट की। और, सोशल मीडिया पर एक वीडियो चलने लगा जिसमें एक पुलिस अधिकारी अपशब्द बोल रहा है।”
विपक्ष का कहना था कि मुख्यमत्री विजयन प्रशासन पर पूरी तरह से अपनी पकड़ खो चुके हैं और जान बूझकर सदन की कार्यवाही से नदारद हैं जिससे सरकार की तरफ से जबाव देने की जिम्मेदारी संस्कृति मंत्री ए. के. बालन को निभानी पड़े। विपक्ष ने इस मामले में मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की है।
सरकार ने कहा दोषियों को सजा मिलेगी सदन में सरकार का पक्ष रखते हुए संस्कृति मंत्री बालन ने कहा, “हम जानते हैं जो कुछ हुआ है। कुछ अधिकारियों पर अभी भी कांग्रेस समर्थित संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चे की सरकार का नशा चढ़ा हुआ है। इसे उतरने में समय लगेगा।” उनके इस बयान के बाद सदन में जमकर हंगामा हुआ और सदन की कारवाही थोड़ी देर के लिए रोकनी पड़ी ।
संस्कृति मंत्री ए के बालन ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि “हमने पांच पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है । लेकिन मामला यहीं समाप्त नहीं होता । किसी दोषी अधिकारी को बचाया नहीं जाएगा।” उनके जबाव से असंतुष्ट विपक्षने नेता रमेश चेन्नीथला के नेतृत्व में सदन से वाक आउट भी किया। चेन्नीथल ने कहा कि जनता की पुलिस अब जनता का उत्पीड़न करने लगी है। उन्होंने भी इस आरोप को दोहराया की विजयन का पुलिस से नियंत्रण हट गया है।