माना जा रहा है शाह के बयान के कारण कोडनानी के मामले से जुड़े होने बात साबित नहीं हो पाई है। गौरतलब है कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान अहमदाबाद में स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। ये नरसंहार 28 फरवरी 2002 को हुआ था। इस दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे।
विधानसभा में थीं कोडनानी अदालत ने सुनवाई के दौरान 327 लोगों के बयान दर्ज किए थे। इनमें पत्रकार, कई पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे। इस मामले में पिछले साल 18 सितंबर को माया कोडनानी के लिए अमित शाह ने भी गवाही दी थी। शाह ने कहा था कि दंगे के दौरान माया कोडनानी विधानसभा में थीं। उन्होंने एसआईटी कोर्ट को बताया था कि नरोदा दंगों के दौरान कोडनानी गुजरात विधानसभा में मौजूद थीं। उसी दिन उनकी सोला सिविल अस्पताल में कोडनानी से मुलाकात भी हुई थी। उन्होंने विस्तार पूर्वक बताया था कि सुबह 8:30 बजे करीब वह विधानसभा में थीं। इसके बाद वह 9:30 से 9:45 तक सिविल अस्पताल में थीं। इस दौरान दोनों अपनी कारों से अस्पताल पहुंचे थे।
28 साल कारावास की सजा सुनाई थी अगस्त 2012 में एसआईटी की विशेष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद कोडनानी और बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील दायर की थी। बाबू बजरंगी को निचली अदालत ने मौत तक के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।