महत्वपूर्ण था यह दौरा एससी एसटी एक्ट पर दलितों के विरोध प्रदर्शन के बाद बदली परिस्थितियों में अमित शाह का यह दौरा महत्वपूर्ण माना जा रह है। बता दें कि यूपी से ही चार दलित भाजपा सांसद बागी तेवर दिखा चुके हैं। उन्नाव के विधायक पर गैंगरेप और हत्या का आरोप योगी सरकार की छवि को पहले ही धूमिल कर चुका है। सूत्रों की मानें तो शाह सरकार के क्रियाकलाप से संबंधित सभी पक्षों को सवालों को कसौटी पर कसते रहे।
यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद पहली बार लखनऊ आए शाह ने बुधवार को अपने दौरे का पूरा दिन सीएम आवास में गुजरा। कहा जा रहा है कि वह सरकार के काम-काज और छवि का लेखा-जोखा करते रहे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने सफलता के झंडे गाड़े हैं।
सहयोगी दलों से नहीं होगी संवाद हीनता अमित शाह ने शाम को गठबंधन सहयोगियों अपना दल और भासपा के नेताओं से अलग-अलग मुलाकात की। भासपा के अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने सात्र सूत्रीय मांगें रखीं। इसमें उनके कार्यकर्ताओं की सुनवाई के साथ लखनऊ में कार्यालय के लिए जमीन भी शामिल थी। अपना दल के अध्यक्ष आशीष सिंह केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के साथ पहुंचे थे। अमित शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री हर 15 दिन पर सहयोगी दलों के साथ बैठक करेंगे और उनकी बात सुनेंगे।
संगठन की मजबूती पर रहा जोर अमित शाह ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष से हर जिले में पार्टी का कार्यालय खिलने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने संगठन और सरकार के बीच ताल मेल की आवश्यकता पर बल दिया और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को संगठित करने की जरुरत बताई। भजपा कार्यालय में संगठन के शीर्ष लोगों के साथ काम-काज और 2019 चुनाव की जमीन पर बात करने के बाद शाह ने बाद में सभी प्रदेश महामंत्रियों को मुख्यमंत्री आवास पर ही बुला लिया। देर रात तक शाह ने उनसे प्रस्तावित संगठनात्मक कार्यक्रमों पर चर्चा की। इस दौरान सरकार के काम-काज को जमीन तक पहुंचाने और कार्यकर्ताओं के फीडबैक के अनुसार काम करने को कहा गया।
छवि को लेकर सतर्क रहें नेता भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी नेताओं को अपनी छवि को लेकर विशेष सावधानी बतरने को कहा है। उन्नाव के भाजपा विधायक पर रेप और मर्डर के आरोप के बाद पार्टी की छवि को गहरा धक्का लगा है। इससे बचने के लिए पार्टी अध्यक्ष ने सभी नेताओं को जनता के बेच अपनी और पार्टी की छवि का ध्यान रखने को आग्रह किया है।