scriptक्या अमित शाह बदल पाएंगे बिरसा मुंडा के वंशजों की किस्मत? | Amit Shah will be able to change the fate of Birsa Munda descendant | Patrika News

क्या अमित शाह बदल पाएंगे बिरसा मुंडा के वंशजों की किस्मत?

locationनई दिल्लीPublished: Sep 16, 2017 09:39:03 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

अमित शाह बिरसा मुंडा के वंशजों को सम्मानित कर उनके साथ भोजन करेंगे। सिर्फ 10 दिनों में ही गाँव के अधिकांश घरों में शौचालयों का निर्माण भी हो गया है।

amit shah
रवि सिन्हा
रांची: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 17 सितंबर को शहीद बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातू में राज्य सरकार द्वारा शुरू होने वाली शहीद ग्राम विकास योजना की शुरूआत करेंगे। लेकिन आजादी के करीब 70 वर्ष गुजर जाने के बाद भी इस गांव की तस्वीर नहीं बदली है।
गांव वाले अब भी विकास की बाट जोह रहे हैं, वहीं वंशजों को कई सरकारों की ओर से नौकरी और प्रोन्नति का आश्वासन मिला, लेकिन अब भी उन्हें सरकारी घोषाणाओं के पूरा होने का इंतजार है। शहीद भगवान बिरसा मुंडा की धरती उलिहातू में अमित शाह के दौरे को लेकर तैयारियां जोर-शोर से चल रही है।
पहली बार धरती आबा बिरसा मुंडा की जन्मस्थली पर किसी राष्ट्रीय दल के शीर्ष नेतृत्व का कदम पड़ने वाला है। राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से अमित शाह के दौरे को लेकर युद्धस्तर पर तैयारियों को पूरा किया जा रहा है। अमित शाह धरती आबा बिरसा मुंडा के वंशजों को सम्मानित करने के साथ उनके साथ भोजन करेंगे और राज्य सरकार की नई योजना शहीद ग्राम विकास योजना के तहत उलितातू गांव में कच्चे मकान में रहने वाले सभी 148 परिवारों को पक्का आवास उपलब्ध कराने की योजना की शुरूआत करेंगे।
इसके अलावा शहीदों के वंशकों के लिए भी आवास का कार्य दिन-रात एक कर पूरा किया जा रहा है। सरकार की ओर से योजना की घोषणा के साथ ही वंशजों को पक्का मकान उपलब्ध कराने की योजना की शुरूआत हुई। पक्का मकान बनाने के काम में शहीद बिरसा मुंडा के परपोते कानू मुंडा को ही राज मिस्त्री का कार्य संभालना पड़ा, तो परपोती चंपा मुंडा रेजा (महिला मजदूर) का काम करती नजर आईं।
चंपा मुंडा ने बताया कि धरती आबा बिरसा मुंडा के वंशज होने के बावजूद उनकी अनदेखी की जा रही है, पिछले तीन सालों में कई आश्वासन के बावजूद उसे और उसकी एक अन्य बहन को नौकरी नहीं मिली, जबकि नौकरी देने का आश्वासन मुख्यमंत्री रघुवर दास और राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के अलावा केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह समेत पूर्व की अन्य सरकारों में मिला। अब नौकरी के अभाव में उन्हें मजदूरी कर जीवन यापन करना पड़ रहा है।
चंपा की एक अन्य बहन गांव में ही पकौड़ी बेचने को मजबूर है। उसने बताया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से यदि बात करने और अपनी बात रखने का मौका मिला तो वह एक बार फिर नौकरी की बात उनके समक्ष रखेंगी। हालांकि वह इस बात से भी बेहद उत्साहित नज़र आ रही है। पहली बार आदर्श ग्राम के नाम पर गांव को विकसित करने की एक और घोषणा करने के पूर्व ही इस बार गांव में काफी काम हुआ है। खासकर लोगों के घरों में बिजली आ गयी, तो लोगों को अब अपने आंगन में पीने का पानी भी नल के जरिए मिलने लगा है। सिर्फ 10 दिनों में ही गाँव के अधिकांश घरों में शौचालयों का भी निर्माण हो गया है।
स्थानीय लोगों की बढ़ी उम्मीदें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आगमन को लेकर उलीहातू के ग्रामवासियों की उम्मीदें काफी ज्यादा है क्योंकि पहली बार ऐसा होगा जब गाँव के सभी लोगों के घरों को पक्का करने की घोषणा अमल में लाई जाएगी, क्योंकि पिछली बार लगभग तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन ने पहली बार सभी घरों को तीन महीने में पक्का करने का एलान किया था लेकिन तीन साल में भी लोगों का यह सपना पूरा नहीं हुआ लेकिन अब भाजपा अध्यक्ष सभी आवास का सामूहिक शिलान्यास करेंगे, यह पूरा होगा इसके अलावा ग्रामीणों को अब लगातार बिजली एवं पानी के साथ साथ रोजगार के साधन भी गांव में मिलने की उम्मीद है।
इधर, उपायुक्त कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी की नौकरी करने वाले वंशज कानू मुंडा ने पूछने पर बताया कि जिला स्थापना के मौके पर वर्ष 2007 में दो भाईयों को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी मिली लेकिन आठ साल के बाद भी उन्हें प्रोन्नति नहीं दी गई जबकि नौकरी देने के समय स्पष्ट तौर पर पढ़ाई के आधार पर प्रोन्नति देने की बात कही गयी थी। 2007 में उन्हें इंटर एवं मैट्रिक के आधार पर नौकरी दी गई थी जबकि अब उनके पास एमए और ग्रेजुएशन की डिग्री है।
प्रोन्नति के संबंध में उन्होंने कई बार राज्यपाल,मुख्यमंत्री और उपायुक्त के पास आवेदन दिया लेकिन उनके आवेदन पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। भगवान बिरसा मुंडा के पौत्र सुखराम मुंडा ने भगवान बिरसा मुंडा की सरकार द्वारा उपेक्षा किए जाने के सवाल पर लगभग बिफरते हुए कहा कि पिछले 25 सालों से लालू यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही उलिहातू में नेताओं और अधिकारियों के आने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी जारी है।
लेकिन राजनेता आश्वासन देकर अपनी राजनीति चमकाते नजर आए और अपेक्षित विकास नहीं हुआ। हालांकि इस बार जरूर कुछ काम हुआ है, अब देखना होगा कि अमित शाह के जाने के बाद स्थिति ऐसी ही रहेगी या स्थिति कुछ बदलेगी।
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