मोदी सरकार पर तानाशाही का आरोप
अन्ना ने भूख-हड़ताल का ऐलान करते हुए कहा कि वह लोकपाल और लोकायुक्त के गठन की मांग को लेकर 30 जनवरी से अपने गांव रालेगण सिद्धि में अंतिम सांस तक उपवास रखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार लोकपाल विधेयक पर संवैधानिक संस्थाओं के फैसले की उपेक्षा कर रही है और देश को तानाशाही की ओर ले जा रही है। उन्होंने कहा, “देश को लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलाने के लिए संवैधानिक संस्था के तौर पर संसद बनाई गई है। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने लोकपाल विधेयक को पारित किया है, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने बार-बार लोकपाल के बारे में पूछा है। इसके बावजूद आपकी सरकार लोकपाल की नियुक्ति करने को तैयार नहीं है।
लोकपाल बिल लागू क्यों नहीं हुआ
“अन्ना ने कहा, “यह कैसी सरकार है, जो संवैधानिक संस्थाओं की भी नहीं सुनती है? सरकार संवैधानिक संस्थाओं के फैसले को लागू नहीं कर रही है और देश को लोकतंत्र से तानाशाही की ओर ले जा रही है। मेरा मानना है कि इससे हमारे लोकतंत्र को खतरा है।” लोकपाल विधेयक राज्यसभा में 17 दिसंबर, 2013 में पारित हुआ था और लोकसभा में इसे 18 दिसंबर, 2013 को पारित कर दिया गया था। राष्ट्रपति ने एक जनवरी, 2014 को लोकपाल और लोकायुक्त कानून पर अपनी मुहर लगा दी थी।